आजकल सबकी जुबां पर एक ही सवाल है कि आखिर चंडीगढ़ में बारिश क्यों नहीं
आजकल सबकी जुबां पर एक ही सवाल है कि आखिर चंडीगढ़ में बारिश क्यों नहीं हो रही है। हैरानी की बात तो यह है कि चंडीगढ़ के आसपास पंचकूला, मोहाली में तो पानी बरस रहा है लेकिन सिटी ब्यूटीफुल तरस रहा है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि लगातार बढ़ते पारे ने मानसून का मिजाज बदल दिया है, जिसका खामियाजा इस रूप में सामने आ रहा है। शनिवार को भी शहर के कुछ सेक्टरों में तो बारिश हुई लेकिन बाकी सेक्टर सूखे रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि बीते 30 वर्षों में रात के तापमान में एक डिग्री और दिन में तीन डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। इससे रोज के तापमान प्रभावित हुए हैं, जो मानसूनी सिस्टम को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा वातावरण में कण की पर्याप्त कमी है, जो बारिश में बाधक बन रही है। इससे चंडीगढ़ में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इससे मानसूनी हवाएं मध्य व पश्चिम दिशा की ओर जा रही हैं। यहां होने वाली बारिशें मध्य प्रदेश, गुजरात व राजस्थान में हो रही हैं। तीनों राज्यों में सामान्य से करीब 30 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की जा चुकी है। राजस्थान जैसे प्रदेशों नाम मात्र की बारिश होती थी, वहां पर अब बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। वहीं चंडीगढ़ में सूखे जैसी परिस्थितियां हैं।
पेरीफेरी में अवैध निर्माण भी एक वजह
तापमान बढ़ने का मुख्य कारण पेरीफेरी में हो रहा अवैध निर्माण है। चंडीगढ़ के चारों तरफ बड़ी तेजी से इमारतें तैयार हुई हैं। इन पर रोक लगाने के लिए प्रशासन नाकाम साबित हुआ है। करीब तीन हजार से ज्यादा अवैध निर्माण चिह्नित हुए। शहर की सड़कों पर गाड़ियों के अलावा एयरकंडीशन भी बढ़े हैं। इसकी वजह से भी तापमान बढ़ा है।
पेड़ों का क्षेत्रफल कम होना भी एक वजह
पेड़ों का क्षेत्रफल कम होना भी एक वजह
साल कुल एरिया ट्री कवर एरिया प्रतिशत
2009 114 11 9.65
2011 114 10 8.93
2013 114 10 8.51
चंडीगढ़ में 48 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई
मौसम विभाग के मुताबिक चंडीगढ़ में बारिश की करीब 48 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। एक जून से लेकर 23 जुलाई तक मात्र 169.3 एमएम बारिश हुई है, जबकि इस दौरान 324.5 एमएम तक बारिश होनी चाहिए। पंजाब व हरियाणा में अच्छी बारिश हुई है। पंजाब में सामान्य से दो फीसदी और हरियाणा में सात फीसदी अधिक बारिश रिकार्ड की गई है। पिछले साल भी चंडीगढ़ में 43 फीसदी कम बारिश रिकार्ड हुई थी।
‘40 किमी घेरे में लागू होती है भविष्यवाणी’
मौसम विभाग का कहना है कि उसकी भविष्यवाणी 40 किलोमीटर एरिया के अंदर तक मान्य होती है। इसका मतलब यह है कि 40 किलोमीटर के घेरे में कहीं भी बारिश हो सकती है। एक जून से लेकर 23 जुलाई तक हर दूसरे दिन 40 कमी के घेरे में बारिश हुई है। जब भी मानसून के कमजोर सिस्टम को अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं, उस जगह पर बारिश होती हैं। चंडीगढ़ मौसम विभाग के आंकड़े के मुताबिक 40 किमी घेरे में बारिश दर्ज की गई है।
देखों जुलाई कितनी बारिश हुई
देखों जुलाई कितनी बारिश हुई
दिनांक बारिश दिनांक बारिश दिनांक बारिश
पंचकूला मोहाली चंडीगढ़
छह जुलाई 7 एमएम छह जुलाई 4 एमएम एक जुलाई ट्रेस
10 जुलाई 2 एमएम 11 जुलाई 12 एमएम दो जुलाई 1
11 जुलाई 1 एमएम 12 जुलाई 13 एमएम छह जुलाई 3
12 जुलाई 8 एमएम 21 जुलाई 25 एमएम 8 जुलाई 2
13 जुलाई 27 एमएम 22 जुलाई ट्रेस 10जुलाई 3
16 जुलाई .5 एमएम 11 जुलाई ट्रेस
20 जुलाई 2 एमएम 12 जुलाई 5
22 जुलाई 15 एमएम 13 जुलाई 23
20 जुलाई ट्रेस
22 जुलाई .4
23 जुलाई ट्रेस
बारिशे हैं, लेकिन इनका प्रभाव यहां के बजाए पड़ोसी राज्यों में दिख रहा है। इसके पीछे 30 सालों में मौसम आया एक बदलाव भी है। कई और भी वजहे हैं। इसके लिए एक डिटेल स्टडी की जरूरत है। चंडीगढ़ में कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन पा रहा है, जिससे यहां की बारिशे मध्य भारत की ओर शिफ्ट हो रही हैं। हालांकि बारिशे हो रही हैं। 40 किमी के क्षेत्र में हर दूसरे दिन बारिश हुई हैं।