Ambient Air Quality Monitoring Machine

एंबियट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग मशीन को नहीं मिली अप्रूवल

आने वाले कुछ दिनों में फिर से मौसम बदलेगा और साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन की टैंशन भी बढ़ेगी। सर्दियों के शहर में दस्तक देने के साथ ही शहर का एयर पॉल्यूशन लेवल भी एक बार फिर बढ़ेगा लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस परेशानी से निपटने के लिए कोई पुख्ता प्रयास नहीं किए।

इस पर चंडीगढ़ को एक और झटका अब सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने भी दे दिया है। दरअसल चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) ने पिछले साल सी.पी.सी.बी. के पास कोंटिन्योस एंबियट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग (सी.ए.ए.सी.एम.) मशीन के लिए अप्लाई किया था। दरअसल इस मशीन की कॉस्ट लगभग सवा करोड़ बैठ रही थी यही वजह है कि सी.पी.सी.सी. ने सी.पी.सी.बी. से इस मशीन के लिए फंडिंग की डिमांड की थी।

लेकिन इस मशीन को लगाने के लिए अभी तक सी.पी.सी.बी. की ओर से मंजूरी नहीं मिल पाई है। सूत्रों के अनुसार सी.पी.सी.बी. द्वारा देश के कुछ अन्य राज्यों में भी यह पॉल्यूशन चैकिंग मशीन लगाई जानी है। इसके लिए टैंडर प्रोसैस भी शुरू कर दिया गया था। लेकिन पहले की तुलना में अब मशीन की कीमत अधिक हो जाने से फिलहाल यह मामला रुक गया है। जिन राज्यों में मशीन लगनी है, उनमें चंडीगढ़ का नाम भी शामिल किया गया था।

बजट बन रहा है अड़ंगा

प्रशासन को मशीन की अहमियत की पूरी जानकारी है। लेकिन मशीन इतनी महंगी है कि इसके लिए प्रशासन ने सी.पी.सी.बी. से फाइनैंशियल असिस्टैंस मांगी है। इसके अतिरिक्त इसकी इंस्टालेशन के लिए भी काफी अधिक स्पेस की जरूरत पड़ेगी। बोर्ड अभी तक कई शहरों में यह मशीन लगा चुका है, मगर चंडीगढ़ को अभी तक ग्रीन सिग्नल नहीं दिया गया।

वायु प्रवाह और आद्रता का भी लग जाता अंदाजा

इस मशीन की मदद से सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, हाईड्रोजन क्लोराइड, एयरबोर्न पर्टिकुलेट मेटर, मर्करी, वॉलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाऊंड और ऑक्सीजन की भी आसानी से पहचान की जा सकेगी। मशीन के से वायु प्रवाह और आद्रता की भी सटीक जानकारी मिलती है।

20 पॉल्यूटैंट्स की पहचान हो सकती थी

मौजूदा समय में जो पॉल्यूशन चैक करने वाली मशीनें प्रशासन के पास है उसमें केवल पी.एम.-10, पी.एम.-2.5, सल्फर डायरऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की पहचान हो पाती है।

लेकिन सी.ए.ए.सी.एम. मशीन के जरिए हवा में मौजूदा लगभग 20 पॉल्यूटैंट्स की पहचान की जा सकेगी। यह पूरी रिपोर्ट सी.पी.सी.बी. के पास पहुंचेगी। अगर किसी भी पॉल्यूटैंट की मात्रा हवा में अधिक होगी तो पहले से ही उसकी रोकथाम के लिए प्रयास किए जा सकेंगे।

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