एक सीनियर आईपीएस ने इस बात का खुलासा किया
देश में पहली बार एक व्यवस्था में बड़ा बदलाव हुआ है। नए आदेशों के तहत अब जेल में सजा काट रही मां के साथ उसके बच्चों को नहीं रखा जाएगा। जुवैनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अब तक 6 साल की उम्र तक बच्चे जेल में सजा काट रही मां के साथ रह सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
यह बदलाव होने जा रहा है हरियाणा में। डीजी जेल केपी सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जुवैनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन किया जाएगा। संशोधन के बाद बच्चों को चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट में रखा जाएगा।
डीजी जेल डा. केपी सिंह के अनुसार ऐसे मामलों में यह बातें सामने आई हैं कि रोजाना 24 में से 18 घंटे सींखचों के पीछे रहने वाली सजायाफ्ता माताओं की वजह से नवजात बच्चों की मानसिक हालत भी बिगड़ जाती है, उनका बौद्धिक विकास भी नहीं हो पाता। डीजी ने बताया कि 6 साल तक सींखचों के पीछे रहने वाले बच्चे एक अजीब तरह के मनोरोगी बन रहे थे। जिस वजह से इस एक्ट में प्रावधान करना पड़ा। एक सीनियर आईपीएस ने बातचीत में बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने एक बैरक में देखा कि करीबन पांच साल की एक बच्ची किसी भी पुरुष को देखकर इस तरह डर जाती थी, जैसे किसी शेर को देखकर बकरी का बच्चा।
पता किया तो मालूम चला कि ये बच्ची अपनी सजायाफ्ता मां के साथ ही सालों से यहां जेल की सींखचों में रह रही है और इसने पुरुषों को बहुत कम ही देखा है। वह हमेशा ही अन्य सजायाफ्ता महिलाओं के बीच ही रही है।
दूसरा, नियमानुसार सजायाफ्ता मां को 6 घंटे ही उसे अन्य कैदियों की तरह बाहर निकाला जाता है। इसीलिए इस बच्ची का बौद्धिक विकास डिस्टर्ब हो गया और बच्ची मनोरोग का शिकार हो गई। लिहाजा अब इस एक्ट में बदलाव कर दिया गया है। अब बच्चे सजायाफ्ता मां के साथ जेलों में नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हे चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट में शिफ्ट किया जाएगा।