कैनेडियन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पंजाब दौरे का मकसद बेहद खास था, जिसे वे पूरा भी कर गए। वहीं जाते-जाते उन्होंने ‘मन की बात’ भी कही। दरअसल, कनाडा में आम चुनाव 2019 में होने हैं और पीएम जस्टिन ट्रूडो अभी से कमर कसकर मैदान में उतर आए हैं। चुनाव बेशक कनाडा में होने जा रहे हैं, लेकिन वह इसकी जमीन पंजाब से तैयार कर गए। जस्टिन की पंजाब फेरी ने एक तीर से दो शिकार किए हैं।
उन्होंने श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होकर पांच लाख सिख मतदाताओं का दिल जीत लिया है, जो कनाडा में आने वाले वर्ष में मतदान करने जा रहे हैं। वहीं उन्होंने कनाडा में बढ़ती जा रही एनडीपी के प्रधान जगमीत की लोकप्रियता का रथ भी रोकने की कोशिश की है। कनाडा में करीब 12 लाख भारतीय रहते हैं, जिसमें पांच लाख की आबादी सिख समुदाय की है। यही वजह है कि कनाडा में सिख राजनीति के असर को देखते हुए ट्रूडो सरकार में चार सिख मंत्री हैं।
कनाडा की राजनीति में ज्यादातर सिख वोट भी ट्रूडो की पार्टी को मिले हैं, बावजूद इसके वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश में ट्रूडो सरकार एक कदम आगे दिखना चाहती है। उनकी सरकार राजनीतिक जरूरतों से परे कदम उठा रही है तो भारत में हैरत जताई जा रही है। भारत इस मुद्दे को बार-बार शीर्ष स्तर पर उठा चुका है कि कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, बावजूद इसके उसे निराशा हाथ लगी। क्योंकि जस्टिन ट्रूडो को सिख वोट सामने दिख रहा है।
प्रस्ताव में सिख विरोधी दंगों को नरसंहार बताया था
ट्रूडो सरकार के एक कदम आगे जाने की सबसे बड़ी वजह हैं 38 साल के सिख नेता जगमीत सिंह, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह ट्रूडो की सरकार को उखाड़ फेंकने की क्षमता रखते हैं। कनाडा में आम चुनाव 2019 में हैं और जगमीत सिंह की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
कनाडा के ओंटारियो प्रांत की राजनीति करते हुए उन्होंने वहां असेंबली में 2016 में प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों को नरसंहार बताया गया था। वह फिलहाल कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं। जगमीत अपने दौरों में साफ कर रहे हैं कि पंजाब जैसे इलाकों में जनमत संग्रह मूलभूत अधिकार होना चाहिए। उन्हें खालिस्तान समर्थकों के भी बेहद करीब बताया जा रहा है।
कनाडा में कई जगह महसूस नहीं होता आप विदेश में हैं
जस्टिन ट्रूडो की यात्रा को लेकर बेशक विवाद पैदा हो रहा हो, लेकिन पंजाब का दौरा उनके लिए काफी फायदेमंद साबित होने जा रही है। कनाडा में पंजाब की झलक मिलती है, कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां आपको महसूस ही नहीं होता कि आप विदेश आए हैं, आपको लगेगा जैसे जालंधर, लुधियाना या पंजाब के किसी शहर में घूम रहे हैं।
1903 में काम की तलाश में भारत से निकले कुछ सिख कनाडा गए। यह देश उनको इतना बेहतर लगा कि वे फिर लौट कर आए ही नहीं। 1903 के बाद यह सिलसिला थमा नहीं, आज भी हजारों लोग हर साल कनाडा जाकर बस जाते हैं।
कनाडा में पंजाबी को तीसरी बड़ी भाषा का दर्जा
कनाडा के हाउस ऑफ कामंस में भारतीय मूल के 20 सांसद हैं, जिनमें 18 लिबरल और दो कंजरवेटिव पार्टी से हैं। पंजाबी को तीसरी बड़ी भाषा का दर्जा हासिल है। भारत के लिए यह गौरव की बात है कि कनाडा की रक्षा का जिम्मा भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरजीत सिंह सज्जन संभाल रहे हैं। नवदीप बैंस विज्ञान एवं आर्थिक विकास मंत्री हैं, जबकि अमरजीत सिंह सोढ़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री हैं। बंदिश घग्गड़ लघु व्यापार और पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को कई बार भारतीय रंग में रंगा देखा गया। भारतीय मूल की सिख महिला और मानव अधिकार कार्यकर्ता पलविंदर कौर शेरगिल कनाडा सुप्रीम कोर्ट आफ ब्रिटिश कोलंबिया में जज हैं। पलविंदर कौर शेरगिल पहली पगड़ीधारी सिख महिला हैं जो जज बनी हैं। अब 38 वर्षीय सिख वकील जगमीत सिंह को कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेता के रूप में चुना गया है। वह देश के एक प्रमुख राजनीतिक दल का प्रमुख होने पर पहले अश्वेत राजनीतिज्ञ बन गए हैं।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी वर्तमान में कनाडा की संसद में तीसरे स्थान पर है, जिसके पास 338 सीटों में से 44 सीटें हैं। हालांकि यह पार्टी कभी सत्ता में नहीं आई। 2015 के चुनाव में इस पार्टी ने 59 सीटें गंवा दी थीं। जगमीत सिंह ओंटारियो प्रांत से सांसद हैं। उन्होंने तीन उम्मीदवारों को हराया था और 53.6 फीसदी वोट हासिल किए थे। अब वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के लिए आधिकारिक दावेदार बन गए हैं। यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो को पंजाब फेरी में जबरदस्त फायदा मिलता नजर आया है।