केंद्र सरकार की उन्नत ज्योति अफॉर्डेबल एल.ई.डी. फॉर ऑल (उजाला) स्कीम चंडीगढ़ में रुक गई है। लगभग एक साल में ही इस स्कीम का चंडीगढ़ के लोगों ने काफी फायदा उठाया था लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस स्कीम के तहत कोई भी एल.ई.डी. आइटम्स नहीं आ रही हैं।
इसकी वजह से बिजली को बचाने की कवायद को भी ब्रेक लग गया है। जिस तरह से लोग एल.ई.डी. बल्ब, पंखे और ट्यूबलाइट के कांसेप्ट से जुड़ रहे हैं, उसे देखते हुए अभी तक चंडीगढ़ हर साल पीक डिमांड में 11 मेगावॉट की बचत कर सकता है।
ये आंकड़े मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर की ओर से जारी किए गए हैं। चंडीगढ़ में बिजली विभाग के लगभग 2.20 लाख कंज्यूमर्स हैं। इन कंज्यूमर्स ने उजाला स्कीम के तहत अभी तक 432251 एल.ई.डी. बल्ब खरीदे हैं, जबकि 51381 ट्यूबलाइट्स और 11964 पंखे भी बिक चुके हैं।
अधिकारियों के अनुसार चंडीगढ़ के लिए कंपनी को दिया गया कांट्रैक्ट खत्म हो चुका है। यही वजह है कि चंडीगढ़ में बल्ब, पंखों और ट्यूबलाइट्स की सप्लाई बंद हो चुकी है। जब नया कांट्रैक्ट होगा, तभी यह सप्लाई फिर शुरू हो पाएगी।
70 रुपए में बल्ब और 230 में ट्यूबलाइट :
केंद्र सरकार की इस स्कीम के तहत कंज्यूमर्स को मार्कीट प्राइस की तुलना में काफी कम कीमत में एल.ई.डी. बल्ब, फैन और ट्यूबलाइट्स मिल रहे थे। एल.ई.डी. बल्ब की कीमत 70 रुपए है, जबकि बाजार में कम से कम 150 रुपए में एक बल्ब मिल रहा है। वहीं, ट्यूबलाइट 230 और पंखा 1150 रुपए में बेचा जा रहा था, जो कि मार्कीट में मिलने वाले अन्य एल.ई.डी. उपकरणों से काफी कम है।
23 करोड़ रुपए की बचत हर साल :
जितने भी बल्ब, ट्यूबलाइट और पंखे अभी तक चंडीगढ़ में बेचे जा चुके हैं, उनसे हर साल लगभग 23 करोड़ रुपए की बिजली बचाई जा सकती है। यानी दोनों ही तरीके से चंडीगढ़ प्रशासन को इस कांसेप्ट से फायदा हुआ है।
बिजली की डिमांड के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए पिछले साल चंडीगढ़ की पीक ऑवर में डिमांड 410 मैगावाट तक पहुंच गई थी, जो कि चंडीगढ़ जैसे शहर के लिए अलार्म बैल की तरह है। चंडीगढ़ जैसा शहर जहां बिजली को जैनरेट करने का कोई जरिया नहीं है ऐसे में आने वाले सालों में शहर में बिजली की डिमांड को पूरा कर पाना आसान नहीं होगा।