दुपहिया वाहनों पर सवारी के दौरान महिलाओं को हेलमेट से छूट को उनकी जान के लिए खतरा बताते हुए इसे अनिवार्य करने को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अब चंडीगढ़ प्रशासन सहित पंजाब और हरियाणा सरकार के गृह सचिवों को 11 जनवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। हाईकोर्ट के अनुसार पगड़ी न पहनने वाली सिख महिलाओं व अन्य महिलाओं के लिए दुपहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट को अनिवार्य लिया है।
पगड़ी न पहनने की स्थिति में हेलमेट अनिवार्य
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के ही एक लॉ रिसर्चर अनिल सैनी ने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने हाल ही में होटल अरोमा के सामने हरियाणा रोडवेज की एक बस से स्कूटी की टक्कर के हादसे का जिक्र किया है। सैनी ने पत्र में मांग की है कि पगड़ी न पहनने वाली सभी महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए मौजूदा मोटर व्हीकल एक्ट में जरूरी बदलाव की मांग भी की गई है।
अभी तक सिख महिलाओं को हेलमेट न पहनने की छूट
पत्र में लिखा गया है कि केंद्र सहित पंजाब और हरियाणा ने केवल उन सिखों को हेलमेट पहनाने से छूट दी है जो पगड़ी पहनते हैं इसी के तहत सिख महिलाओं सहित अन्य महिलाओं को भी यह छूट दे दी गई है।
पत्र में कहा गया कि कोई भी धर्म सुरक्षा के प्रावधानों और सुरक्षा मानकों से ऊपर नहीं है। पंजाब में प्रावधानों के अनुसार सिख पुरुषों को केवल पगड़ी पहनने की स्थिति में ही हेलमेट से छूट है, परना या पटका पहनने पर चालान जबकि महिलाओं को सीधे तौर पर छूट दे दी गई है। हरियाणा में सिखों को चाहे पुरुष हो या महिला पगड़ी न पहनने की स्थिति में हेलमेट अनिवार्य है परंतु प्रावधानों की पालना नहीं की जा रही।
चंडीगढ़ प्रशासन ने महिलाओं को ही हेलमेट से छूट दी है जो सीधे तौर पर उनकी जान को जोखिम में डालने वाला है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। पत्र में यह भी लिखा गया है कि हादसा पुरुष या महिला नहीं देखता इसलिए पगड़ी न होने की स्थिति में हेलमेट अनिवार्य किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस पत्र पर संज्ञान ले चंडीगढ़ प्रशासन सहित पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। इसके साथ ही इस मामले में सहयोग देने के लिए हाईकोर्ट ने एडवोकेट नामित कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया है। मामले को लेकर चीफ जस्टिस को पत्र लिखने वाले अनिल सैनी और अन्य लॉ रिसर्चर नितिन सचदेवा को नामित कुमार को सहयोग दिए जाने के आदेश दे दिए गए हैं।