मेयर और दो पार्षदों को कोर्ट से राहत नहीं, FIR रद्द करने की याचिका नहीं की मंजूर
मेयर आशा जसवाल, पार्षद रविकांत और राजेश कुमार के खिलाफ मलोया थाने में दर्ज मामले में पुलिस की ओर से एफआईआर खारिज करने की याचिका पर तीनों को कोर्ट से पूरी राहत नहीं मिल पाई है। अदालत ने जुवेनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट और पॉक्सो एक्ट में दर्ज मामले की ज्यूरिडिक्शन न होने की बात कहते हुए पुलिस की याचिका मंजूर नहीं की है। हालांकि अदालत ने उनके खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत याचिका को मंजूरी दे दी है। इसके बावजूद अभी जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट में केस चलेगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ‘अदालत के पास जुवेनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट 74 (3), 87 रुल 74 और पॉक्सो एक्ट 23 की ज्यूरिडिक्शन नहीं है। इन धाराओं के तहत दर्ज केस के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड है। बोर्ड के पास इसके विशेषाधिकार हैं। इसलिए इन धाराओं के तहत दर्ज मामले में पुलिस की ओर से दाखिल याचिका को मंजूर नहीं किया जा सकता।
वहीं अदालत ने एफआईआर में दर्ज 332, 353, 342, 228-ए, 448, 506 और 34 आईपीसी की धाराओं को पुलिस की ओर से दाखिल याचिका के आधार पर केस से हटाने की मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि एफआईआर में आरोप साबित नहीं किए गए हैं और शिकायतकर्ताओं ने भी इस पर सहमति दी है तो ऐसे में पुलिस की याचिका को मंजूर न करने का कोई आधार नहीं है।