एक तरफ पिछले कुछ दिनों के दौरान हुई जबरदस्त बारिश ने अगले साल के लिए सुखना लेक की टैंशन दूर कर दी है, वहीं दूसरी तरफ शहर में पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने में अहम योगदान देने वाले माइग्रेटरी बर्ड्स को अपना कहीं और ठिकाना तलाशना होगा।
विशेषज्ञों की मानें तो लेक का वाटर लैवल बढऩे से प्रवासी पक्षियों की संख्या में भारी कमी आएगी। चंडीगढ़ प्रशासन ने सोमवार को सुखना लेक के गेट तो खोल दिए लेकिन वाटर लैवल अधिक कम नहीं किया। मंगलवार को लेक का वाटर लैवल 1163 फीट था। अधिकारियों का कहना है कि लेक के जलस्तर को इससे कम नहीं किया जाएगा।
हालांकि ऑफिसर्स आने वाले समय में लेक के वाटर लैवल की समस्या पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं लेकिन इसका सीधा असर प्रवासी पक्षियों की संख्या में पडऩा तय माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अगर लेक का वाटर लैवल 1163.2 से अधिक दर्ज होता है तभी गेट खोलने की परमिशन दी जाएगी। अगर लेक का वाटर लैवल कम न किया गया तो प्रवासी पक्षियों को उचित मात्रा में खाने के लिए मछलियां नहीं मिलेंगी। नवम्बर से विदेशों से माइग्रेटरी बर्ड्स के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
यह होगी परेशानी :
माइग्रेटरी बर्ड्स सुखना लेक में खाने की तलाश करते हुए पहुंचती हैं लेकिन इस साल लेक में पानी अधिक होने की वजह से मछलियों के छुपने का दायरा भी अधिक हो जाएगा। ऐसे में अगर प्रवासी पक्षियों को फीड नहीं मिलेगा तो उन्हें मजबूरी में अन्य लेक या तालाब की ओर रुख करना पड़ेगा।
सिटी फॉरैस्ट का ऑप्शन तैयार कर रहा प्रशासन :
इस समय यू.टी. का फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने प्रवासी पक्षियों के लिए अलग से ठिकाना तैयार कर रहा है। इसके लिए लेक के नजदीक ही तैयार किए गए सिटी फॉरेस्ट पर काम चल रहा है। हालांकि अधिकारियों का भी मानना है कि सिटी फॉरेस्ट में भी इतनी जगह नहीं है कि माइग्रेटरी बड्र्स आराम से यहां रह सकें। यही वजह है कि इस साल प्रवासी पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट आने की उम्मीद जताई जा रही है।