खेल विभाग के सैक्टर-18 स्थित स्पोर्ट्स हॉस्टल की वार्डन के खिलाफ पुलिस ने पोक्सो एक्ट के तहत एफ.आई.आर. दर्ज कर ली है। उसकी किसी भी समय गिरफ्तारी हो सकती है। हॉस्टल वार्डन के खिलाफ शारीरिक छेड़छाड़ कर गंदे सवाल पूछने के आरोप लगाने वाली 11 वर्षीय बच्ची के बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है। बच्ची का मैडीकल भी करवाया गया और मजिस्ट्रैट के समक्ष 164 के बयान भी दर्ज करवाए गए हैं।
चाइल्ड राइट प्रोटैक्शन कमीशन ने लिया संज्ञान तो हरकत में आई पुलिस
चंडीगढ़ चाइल्ड राइट प्रोटैक्शन कमीशन और चाइल्ड लाइन ने शनिवार को वार्डन कवलदीश और पुलिस को सम्मन जारी किए। वार्डन को पेश होकर जवाब देने की बात कही गई है और पुलिस को पूछा गया है कि बच्ची द्वारा फोन किए जाने और लिखित शिकायत देने पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पुलिस से पूछा गया है कि किस आधार पर उन्होंने 10 वर्षीय बच्ची और वार्डन के बीच समझौता करवाया जोकि पोक्सो एक्ट का उल्लंघन है।
पुलिस को तुरंत एफ.आई.आर. दर्ज करने की हिदायत दी गई थी, जिसके बाद सुबह महिला पुलिस टीम सैक्टर-18 स्थित स्पोर्ट्स हॉस्टल गई और बच्ची से मिली। बच्ची के चाचा की मौजूदगी में फिर से बच्ची के बयान दर्ज किए गए और एफ.आई.आर. दर्ज कर ली गई। बच्ची ने पुलिस व चाइल्ड राइट टीम के समक्ष वही बातें दोहराई, जो वीरवार को कही थीं।
दूसरी लड़कियों ने भी खोले राज
स्पोर्ट्स हॉस्टल में गई चाइल्ड राइट प्रोटेक्शन कमीशन और चाइल्ड लाइन की टीम ने शिकायतकर्ता बच्ची के बयान दर्ज किए तो हॉस्टल में रह रही कई अन्य नाबालिग खिलाडिय़ों ने भी वार्डन का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। एक बच्ची ने पंजाब केसरी को फोन पर बताया कि एक दिन वार्डन कवलदीश रात 10 बजे उसे अपने कमरे में ले गई।
लाइट बंद कर दी और बिस्तर पर साथ बैठने को कहा लेकिन घबराकर वह कमरे से भाग आई। उसने बताया कि वह जानती थी कि वार्डन अंधेरे में बाड़ी मसाज करवाती है। एक अन्य खिलाड़ी ने बताया कि वार्डन के पास कुछ मर्द आते थे, जो उन्हें गंदी निगाहों से देखते थे। इसकी शिकायत उन्होंने वार्डन से की थी लेकिन वह टाल गई।
हॉस्टल के महिला स्टाफ ने भी बताया कि महिला स्टाफ से भी कई बार वह बॉडी मसाज करवाती थी और गरम पानी में टावल भिगोकर निवस्त्र हो सेंक करवाती थी। यहां तक की अपने अंडरगार्मैंट्स भी उनसे प्रैस करवाती थी। इसकी शिकायतें वह विभाग को करती रही हैं और सभी के बयान भी लिए जाते रहे हैं लेकिन प्रशासनिक रसूख के चलते कार्रवाई नहीं होती थी।