साढ़े चार लाख से ज्यादा डस्टबिन बांटने की है योजना
एक तरफ जहां निगम की ओर से सूखे और गीले कूड़े के लिए अलग-अलग बांटे गए डस्टबिन साइज को लेकर सवालों में घेरे में थे, वहीं अब अब जीएसटी के बाद इनकी सप्लाई ही बंद हो गई है।
डस्टबिन मुहैया करवाने वाली कंपनी के अनुसार जीएसटी लागू होने से डस्टबिन महंगे हो गए हैं। ट्रांसपोर्ट सर्विस पर भी जीएसटी लग गया है, इसलिए पुराने रेट पर कंपनी डस्टबिन की सप्लाई नहीं कर रही। फिलहाल शहर में डस्टबिन बांटने की मुहिम ठप पड़ गई है। अभी तक निगम की यह योजना सफल नहीं हो पा रही है। निगम ने अधूरी तैयारी के साथ इसे लागू कर दिया है। सेक्टरों में रहने वाले लोग इन डस्टबिनों की उपयोगिता पर भी सवाल उठा रहे हैं। अब तक निगम की ओर से बांटे गए डस्टबिनों का प्रयोग भी लोग अन्य कामों में ही कर रहे हैं।
साढ़े चार लाख से ज्यादा डस्टबिन बांटने की है योजना
अब तक अलग-अलग क्वालिटी के 90 हजार डस्टबिन आए हैं। इन पर पार्षद भी सवाल उठा रहे हैं। शहर में दो लाख 35 हजार घरों के लिए चार लाख 70 हजार डस्टबिन बांटने की योजना है पर डेढ़ माह में 50 हजार नीले और हरे रंग के डस्टबिन ही बांटे गए हैं। इस पर निगम की ओर से सवा दो करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है।
कर्मचारियों को अलग-अलग कूड़ा एकत्रित को नहीं दिए डस्टबिन
5 जून को शुरू हुई इस स्कीम के तहत डोर टू डोर गारबेज इकट्ठा करने वाले कर्मचारियों को अलग अलग कचरा लेने के लिए डस्टबिन नहीं बांटे गए हैं, जबकि उन्हें 40-40 लीटर के चार डस्टबिन नीले और हरे रंग के देने की घोषणा की गई थी। ऐसे में लोगों का कहना है कि वह अलग-अलग कचरा इकट्ठा कर रहे हैं जबकि कर्मचारी एक ही डस्टबिन में ही कचरा डाल रहे हैं। ऐसे में इस स्कीम का कोई फायदा नहीं हुआ। टेंडर के अनुसार, छह जुलाई तक दो लाख 35 हजार घरों के लिए डस्टबिन आ जाने चाहिए थे।