देवभूमि में सत्ता पर काबिज होने का सपना संजो रही भाजपा को हिमाचल प्रदेश की रणनीति में ऐन समय पर बदलाव करना पड़ा। आमतौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं प्रोजेक्ट करने वाली पार्टी को हिमाचल में अंत में आकर निर्णय बदलना पड़ा। इसकी स्क्रिप्ट पंचकूला में पहले ही लिख दी गई थी।
पिछले दिनों पंचकूला में एक के बाद एक हुई बैठकों में कोर ग्रुप ने मंथन के बाद अपनी राय आलाकमान को दी। आलाकमान देवभूमि में जेपी न्डडा के नाम पर दांव खेलना चाह रहे थे, लेकिन हरियाणा और पंजाब से मिले फीडबैक के बाद नेताओं ने अपनी राय बदल दी।
रातोरात प्रेम कुमार धूमल को चेहरा बनाने की ठानी और प्रधानमंत्री ने हरी झंडी दे दी। पिछले दिनों पंचकूला के राम मंदिर में हुई गुप्त बैठक की जानकारी किसी को नहीं थी। इस बैठक में पूरा कोर ग्रुप मौजूद था। 16 लोगों की इस टीम में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल जी और संघ के सह सर कार्यवाह कृप्ण गोपाल भी मौजूद थे।
इसके अलावा पार्टी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व हिंदू परिषद को भी इस चर्चा में तरजीह दी। दोपहर तक यह बैठक राम मंदिर में चली उसके बाद सभी नेता पंचकूला किसान भवन में पहुंच गए। सूत्रों के मुताबिक धूमल जी भी किसान भवन पहुंचे थे। सूत्र बताते हैं कि धूमल के अलावा, जेपी नड्डा, हिमाचल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती और संगठन मंत्री पवन राणा भी मौजूद थे।
नड्डा के लिए लॉबिंग चलती रही, धूमल बाजी मार गए
हिमाचल चुनाव से पहले ही जेपी नड्डा का नाम चर्चा में आ गया था। आलाकमान की ओर से यह तय माना जा रहा था, लेकिन पंचकूला की बैठक में हिमाचल के हालातों पर चर्चा हुई और निर्णय बदल गया।
धूमल को आगे लाने का मतलब भाजपा कमजोर
हिमाचल से चुनाव प्रचार कर लौटे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में धूमल को आगे करने का मतलब है कि भाजपा की हालत पतली है। चुनाव के नतीजे बताएंगे कि जनता का भाजपा से मोहभंग हो गया है।