संतरे, हल्दी और अंगूरों में मौजूद कंपोटेंट से ऑटिज्म जैसी गंभीर बिमारी का इलाज किया जा सकता है। इस तकनीक पर रिचर्स की है पंजाब यूनिवर्सिटी (पी.यू.) की पी.एच.डी स्कॉलर रंजना भंडारी ने।
वह फार्मस्यिूटिकल विभाग में प्रो. अनुराग की गाईडैंस में रिसर्च कर रहीं है। अब वह बिमारी के इलाज के लिए नैनो-ड्रग डिलवरी पर भी रिसर्च कर रहीं है। गौरतलब है कि ऑटिज्म की बीमारी सिर्फ जैनेटिक नहीं होती बल्कि इसका संबंध पेट में होने वाली गैस्टिक प्रॉब्लम से भी होता है।
इस गैस्टिक से जो एसिड रिलीज होता है वह दिमाग पर प्रैशर डालता है। बच्चों की इंस्टाईन में बनने वाले शोर्ट चेन फैटी एसिड अधिक मात्रा में क्लोसटरीडीया बैक्टीरीया होने की वजह से बनता है, जिसके कारण भी कई बच्चे ऑटिज्म का शिकार होते है।
ऑटिज्म की स्थिति में जहां कुछ बच्चे मैंटली रिटायर्ड होते है वहीं कुछ बच्चे बहुत धीरे ग्रोथ करते है। कई बच्चों को एक ही तरह का वातावरण अच्छा लगता है। गैस्टिक के कारण इन बच्चों के दिमाग का विकास नहीं हो पाता।
कंपोटैंट इस तरह से करेंगे इलाज :
जानकारी के मुताबिक हल्दी में मौजूद कारक और अंगूरों में पाया जाने वाले रहबरेट्रोल से ऑटिज्म जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज किया जा सकता है। वहीं सतरे में मोजूद नैरिंगजैनिन से भी ऑटिज्म के इलाज में सहायक सिद्ध होते हैं ।
रंजना ने पहले संतरे ,हल्दी और अंगूरों पर रिसर्च की जोकि सफल रही अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ कि आखिर संतरे, अंगूर व हल्दी के उन कारकों को दिमाग तक कैसे पहुंचाया जाए जिसके लिए रंजना ने एक बार फिर रिसर्च शुरू कर दी है जोकि जल्द ही पूरा होने वाला है। रंजना के रिसर्च का ट्रायल ठीक रहा तो यह इलाज पद्यति काफी कारगार साबित हो सकती है।