एम्स के बाद अब पी.जी.आई. में फूड पाइप में होने वाली बीमारी एक्लेसिया कार्डिया (खाना निगलने में कठिनाई) का इलाज बिना चीर फाड़ वाली टैक्नीक पोएम से हो सकेगा। पी.जी.आई. ने ऐसे चार मरीजों पर पहली बार इसका इस्तेमाल किया है और यह कामयाब रहा है।
पी.जी.आई. गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की डाक्टर ऊषा दत्ता ने बताया कि फूड पाइप बंद होने पर अभी तक ओपन सर्जरी करनी पड़ती थी, या फिर एंडोस्कोपी से बैलून डालकर उसे फूलाकर फूड पाइप को खोलने की कोशिश की जाती है। इसमें रिजल्ट अच्छे आने की संभावना कम रहती थी लेकिन पहली बार बिना ओरल एंडोस्कोपिक मायोटमी प्रोसिजर से चार मरीजों की फूड पाइप को खोला गया है।
डा. दत्ता के मुताबिक फूड पाइप की मांसपेशियों के सही ढंग से काम नहीं करने से यह दिक्कत होती है। अभी तक इस बीमारी का इलाज सर्जरी या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से किया जा रहा था। यह बीमारी बहुत रेयर होती है। एक लाख लोगों में सात लोगों में यह बीमारी पाई जाती है।
पी.जी.आई. में आप्रेशन के बाद अगले दिन खाना खा सकता है मरीज :
पी.जी.आई. में यह प्रोसिजर एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी हैदराबाद से आए डॉ. जहीर और गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमैंट की डॉ. ऊषा दत्ता, डॉ. विशाल शर्मा, नरेंद्र ढाका और डॉक्टर हर्ष की टीम ने किया है। एम्स में यह तकनीक पिछले महीने ही शुरू हुई है। इसमें बिना चीर-फाड़ के रुकावट वाले स्थान पर पहला रास्ता बनाया जाता है। उसके बाद एंडोस्कोपिक डालकर रुकावट को खत्म कर रास्ता बन जाता है, जिससे किसी तरह की परेशानी नहीं होती।
आधुनिक तकनीक में आप्रेशन के बाद अगले दिन ही मरीज खाना खा सकता है। मरीज को दूसरे दिन छुट्टी मिल जाती है। दूसरी सर्जरी में ब्लड का लॉस भी काफी रहता था। वहीं सर्जरी के बाद निशान रहते थे। गवर्नमैंट अस्पतालों में 10 से 15 हजार रुपए इस पर खर्च आता है जबकि प्राइवेट सैक्टर में 3 लाख तक इसमें खर्च हो जाते हैं। हर हफ्ते 2 या 3 नए मरीज इस बीमारी के आ रहे हैं।