एक जुलाई से महंगी हो जाएगी पढ़ाई, किताबें और ड्रेस
जीएसटी का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट देखिए। एक जुलाई से पढ़ाई, किताबें और स्कूल ड्रेस महंगी हो जाएगी। अभिभावक जानिए, कितने दाम बढ़ेंगे। निजी स्कूलों की महंगी फीस की मार झेल रहे अभिभावकों की अब जीएसटी की भी मार पड़ने वाली है। किताबों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन रंगीन व चित्र वाली किताबों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगने से नौनिहालों की किताबें महंगी हो जाएंगी। जबकि आठवीं कक्षा तक इसी प्रकार की किताबें लगती हैं। इसी तरह नोटबुक, ड्रेस, पेन, राइटिंग बोर्ड, जूते जीएसटी लागू होने पर महंगे हो जाएंगे जीएसटी से पेंसिल, स्लेट आदि को बाहर रखा गया है, लेकिन अन्य शिक्षण सामग्री को शामिल करने से महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। किताबों पर भले ही टैक्स न लगाया जाए, लेकिन उसमें भी शर्तें लगाई गई हैं। रंगीन व चित्र वाली किताबों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा। इनमें ड्राइंग बुक व चित्र वाली अन्य किताबें शामिल होंगी। नोटबुक टैक्स के दायरे में नहीं आती थी, उस पर अब 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा वहीं, किसी भी तरह के कपड़े पर टैक्स नहीं लगता था तो रेडीमेड पर केवल 5.25 प्रतिशत टैक्स था, लेकिन अब कपड़े पर 5-18 प्रतिशत टैक्स लगाने के साथ ही रेडीमेड पर इसे 12 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बच्चों के स्कूल की ड्रेस महंगी हो जाएगी। स्कूल ड्रेस में शामिल जूते भी 18 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आने से महंगे हो जाएंगे। पेन, पैड और राइटिंग बोर्ड भी होंगे महंगे
पेन पर 12 जीएसटी तो राइटिंग पैड, राइटिंग बोर्ड, फाउंटेन पेन पर 18 प्रतिशत टैक्स होगा। इस तरह किसी पेंसिल व पेन का बस मैटल का होगा तो उस पर टैक्स 28 प्रतिशत हो जाएगा। कलर करने वाले ब्रुश पर भी टैक्स 18 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि इन पर अभी तक टैक्स सात प्रतिशत तक लगता था। शिक्षा पर पढ़ेगा असर
बच्चों की पढ़ाई में होने वाली काफी सामग्री को जीएसटी में शामिल किया गया है तो कुछ पर टैक्स बढ़ा दिया गया है। वहीं, ऐसी भी कई चीजें हैं, जिनका सीधा असर भले ही बच्चों की पढ़ाई पर न पड़े, लेकिन किसी न किसी तरह से वह भी पढ़ाई को महंगी करेंगे। इनमें ड्रेस में इस्तेमाल होने वाले कपड़े के साथ ड्रेस के जूते आदि शामिल हैं। बढ़ जाएंगे दाम
स्टेशनरी व काफी शिक्षण सामग्री अभी तक टैक्स के दायरे से बाहर थी, लेकिन अब उनको टैक्स में शामिल कर दिया गया है। इन पर टैक्स बढ़ाया जाएगा तो उनके दाम खुद ही बढ़ जाएंगे। जीएसटी लागू होने के बाद स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी कि कंपनियां कितना रुपया सामान पर बढ़ाती हैं, क्योंकि उसके आधार पर हम भी स्टेशनरी व अन्य सामान को बेचेंगे।