एचएमटी के ट्रैक्टर निर्माण प्लांट को केंद्र सरकार अब लीज पर
पिंजौर स्थित सार्वजनिक उपक्रम एचएमटी के ट्रैक्टर निर्माण प्लांट को केंद्र सरकार अब लीज पर देने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में कंपनियों के मंगाए गए टेंडर आगामी 15 जुलाई को मंगलौर स्थित एचएमटी मुख्यालय में खुलेंगे। इसकी भनक लगते ही पिंजौर एचएमटी के कर्मचारियों में हलचल तेज हो गई है। एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक व वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय बंसल ने आरोप लगाया है कि अभी तक एचएमटी प्रबंधन ने पिंजौर के कर्मचारियों का बकाया पैसा नहीं दिया है और इस बाबत पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर केस भी लंबित है। ऐसे में सरकार की ओर से इस इकाई को बेचने या लीज पर देने की प्रक्रिया पूरी तरह असंवैधानिक है।
दरअसल, हरियाणा में भाजपा सरकार के गठन के बाद ही पिंजौर की इकाई को हमेशा के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए कर्मचारियों को वीआरएस देना शुरू कर दिया गया था। इसके तहत पांच साल से कम सेवाकाल वाले कर्मचारियों को तो तुरंत वीआरएस दे दिया गया, लेकिन 5-20 साल की सेवा वाले कर्मचारियों के लिए वीआरएस तय करते हुए सेवा वर्षों में कटौती कर दी गई। विजय बंसल ने बताया कि केंद्र की भाजपा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते ही अक्तूबर, 2016 में इस प्लांट को बंद करने का एलान किया गया और इसके कर्मचारियों को वीआरएस देने का फैसला हुआ था, लेकिन सभी कर्मचारियों को नियमानुसार आज तक पूरा पैसा नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पिंजौर इकाई के करीब 200 कर्मचारियों ने जनहित याचिका दायर की हुई है, जिस पर सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई, 2017 तय है। उन्होंने एचएमटी प्रबंधन की ओर से टेंडर निकालने की प्रक्रिया को अदालत की अवमानना भी कहा है।
विजय बंसल ने बताया कि उन्हें पहले से ही आशंका थी कि भाजपा सरकार इस प्लांट को निजी कंपनी को बेच देगी। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान एचएमटी पिंजौर को संकट से उबारने के लिए 1083 करोड़ का पैकेज दिया था, लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही यह पैकेज राशि जारी न कर इस इकाई को बंद करने का काम शुरू कर दिया। बंसल ने मांग की कि नए टेंडर खोले जाने के बाद इस इकाई के जिन कर्मचारियों का सेवाकाल बाकी है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर इस इकाई में नौकरी दी जाए।