एयर इंडिया की चंडीगढ़ से बैंकॉक की मिलेगी सीधी उड़ान
रनवे की रीकार्पेटिंग के लिए एयरपोर्ट को आधे दिन के लिए बंद करना केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि जब पटरियों के बिना रेलवे स्टेशन तक नहीं बनता तो कैसे बिना रनवे के एयरपोर्ट बना दिया गया।
यह भी तब जब इसे इंटरनेशनल बताकर पीएम से उद्घाटन करवाया गया। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या जब सैकड़ों करोड़ खर्च किए जा रहे, तब इस बात का पता नहीं था कि इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे की रीकार्पेटिंग भी करनी जरूरी है।
बुधवार को मामले की सुनवाई आरंभ होते ही एयर-इंडिया से हाईकोर्ट ने सीधी इंटरनेशनल फ्लाइट पर जवाब मांगा। एयर इंडिया ने बताया कि वे चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट से थाईलैंड की राजधानी बैंकाक के लिए 6 अक्तूबर से फ्लाइट आरंभ करने जा रहे हैं। बैंकॉक से फ्लाइट चंडीगढ़ में सुबह साढ़े 9 बजे लैंड करेगी और बैंकॉक के लिए दोपहर डेढ़ बजे उड़ान भरेगी।
6 अक्तूबर से एयर इंडिया की चंडीगढ़ से बैंकॉक की मिलेगी सीधी उड़ान
हाईकोर्ट ने एयर-इंडिया को शारजाह की फ्लाइट जो सवा चार बजे शाम को चलती है, उसके टाइमिंग के शेड्यूल में रनवे की रीकार्पेटिंग के चलते थोड़ा बदलाव करने को कहा है। इसके साथ ही इंडिगो को भी दुबई की फ्लाइट में भी शेड्यूल में बदलाव के निर्देश दिए गए हैं।
चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे की रीकार्पेटिंग के मामले में हाईकोर्ट को बताया गया कि पहले रनवे रीकार्पेटिंग के लिए एयरपोर्ट को 3 अक्तूबर से दोपहर 3 बजे से सुबह 5 बजे तक बंद करने की जो योजना थी, उसमे बदलाव कर अब दोपहर 4 बजे से सुबह 5 बजे कर दिया गया है। अब सुबह 5 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक फ्लाइट्स चल सकती हैं। उसके बाद आधे दिन रनवे की रीकार्पेटिंग के चलते एयरपोर्ट बंद किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने इस जानकारी पर केंद्र सरकार को रनवे रीकार्पेटिंग का पूरा शेड्यूल कब तक यह बन कर तैयार हो जाएगा, इसकी जानकारी मामले की अगली सुनवाई पर दिए जाने के आदेश दे दिए हैं। एयरपोर्ट के पैरलल रनवे बनाए जाने के लिए जो भूमि अधिग्रहण की जानी थी, अब उस पर केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय में विवाद हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट को बताया कि पहले केंद्रीय रक्षा मंत्रालय अधिग्रहीत की जानी वाली जमीन का मुआवजा देने के लिए तैयार था, लेकिन अब रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए मना कर दिया है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस पैरलल रनवे का इस्तेमाल सिविल यूज के लिए होना है। ऐसे में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ही मुआवजा दे। हाईकोर्ट ने इस जानकारी पर केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि 22 अगस्त को इस विषय पर सचिव स्तर की जो बैठक होगी, उस बैठक में दोनों मंत्रालय इस विवाद का हल निकालें। हाईकोर्ट ने कहा कि बेहतर तो यही होता कि एयरपोर्ट बनाए जाने के समय ही भूमि अधिग्रहण कर लिया जाता।