ऐसे तो उड़ जाएगा सारा पानी; विश्वास नहीं होता, ये अपनी सुखना है!

ऐसे तो उड़ जाएगा सारा पानी; विश्वास नहीं होता, ये अपनी सुखना है!

ऐसे तो उड़ जाएगा सारा पानी; विश्वास नहीं होता, ये अपनी सुखना है!
गाद के कारण सुखना का जलस्तर रोज 10 से 15 एमएम तक घटता जा रहा है। सुखना को बचाने के लिए प्रशासन के सभी प्रयास फेल होते जा रहे है। सुखना के घटते जलस्तर पर प्रशासन के पूर्व चीफ इंजीनियर व पंजाब यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ का मानना है कि अगरसुखना को बचाना है तो गाद निकालनी ही पड़ेगी। दूसरा कोई विक ल्प नहीं। इसके लिए प्रशासन के पास केवल डेढ़ माह का समय शेष रह गया है।

अगर इस बीच सुखना से गाद निकाल ली गई तो हो सकता है कि सुखना को सूखने से बचाया जा सके। वर्तमान में पानी का स्तर 1153.20 फुट है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पानी का स्तर इतना भी नहीं है। इसमें आधा हिस्सा गाद का है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) रुड़की भी अपनी स्टडी में सुखना के सूखने की मुख्य वजह गाद को बता चुका है।

गाद निकालने के लिए दो बार चिट्ठी लिखी
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाईड्रोलॉजी की स्टडी को आधार बनाते हुए पर्यावरण विभाग ने यूटी के इंजीनियरिंग विभाग से गाद की समस्याओं के हल के लिए आधुनिक मशीन खरीदनें के लिए कहा था। इसके लिए इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने लिखित रूप में दो बार प्रपोजल भेजा। लेकिन अब तक इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट सुखना से गाद निकालने केलिए मशीन नहीं खरीद सका।

गाद के कारण सुखना की गहराई कम होती जा रही है। समय रहते गाद नहीं निकाली गई तो हो सकता है आने वाले कुछ समय में सुखना का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जाए।

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