कच्चा माल होगा महंगा, छूट भी नहीं मिलेगी
जीएसटी से हरियाणा और हिमाचल का दवा कारोबार भी काफी लड़खड़ाएगा। इस कारोबार में दवा निर्माण से लेकर दवा बिक्री तक महंगाई झेलनी पड़ेगी। दवाएं औसतन सात फीसदी तक महंगी हो जाएंगी।
इससे हरियाणा के बीस हजार से अधिक थोक व रिटेल दवा कारोबारी प्रभावित होंगे, वहीं हरियाणा और हिमाचल के तकरीबन नौ सौ दवा उद्योगों को भी झटका लगेगा। इसके अलावा वे दवा कारोबारी जिनके पास काफी दवाआें का स्टॉक गोदामों में मौजूद पड़ा है, उन्हें भी भारी नुकसान की आशंका है। क्योंकि पुराना स्टॉक भी तीस जून के बाद अब नई टैक्स दरों से बिकेगा।
कच्चा माल होगा महंगा, छूट भी नहीं मिलेगी
एसएमई फार्मा इंडस्ट्रीज फेडरेशन के सीनियर वाइस चेयरमैन जीडी छिब्बर ने बताया कि जीएसटी के बाद दवा निर्माण के लिए कच्चा माल थोड़ा महंगा हो जाएगा। अभी कच्चे माल पर एक्साइज ड्यूटी व सीएसटी मिलाकर 12.5 प्रतिशत कर लगता है, लेकिन जीएसटी में इसे 18 प्रतिशत श्रेणी में रखा गया है। इसके अतिरिक्त दवा तैयार होने पर अधिकतर दवाओं की एमआरपी पर 35 प्रतिशत छूट के बाद 6 प्रतिशत एक्साइज लगता था, लेकिन अब यह छूट भी खत्म हो जाएगी।
इस तरह दवाएं होंगी महंगी
इस तरह दवाएं होंगी महंगी
हरियाणा केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के चीफ एडवाइजर सतीश विज व सचिव राजीव गोयल ने बताया कि हरियाणा में पहले अधिकतर दवाओं की बिक्री 5 प्रतिशत वैट के साथ होती थी। जबकि दवाओं की कंट्रासेप्टिव आइटम टैक्स फ्री थी और फूड प्रोडेक्ट व लग्जरी मेडिसिन पर 12.5 प्रतिशत टैक्स था, लेकिन अब जीएसटी के बाद ब्लड संबंधी व कंट्रासेप्टिव मेडिसन आइटम तो टैक्स फ्री ही रहेंगी, लाइव सेविंग ड्रग्स 5 फीसदी कर श्रेणी में आएंगी।
शेष अधिकतर दवाएं अब 12 फीसदी कर श्रेणी में आएंगी, जबकि फूड प्रोडक्ट 18 फीसदी और लग्जरी मेडिसन 28 फीसदी कर श्रेणी में होगी। उधर, फार्मास्यूटिकल ड्रगिस्ट प्रदीप खेड़ा के अनुसार उम्मीद है कि सरकार इस सेक्टर को राहत देगी, क्योंकि यह सेक्टर लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
हिमाचल, उत्तराखंड, जेएंडके के दवा उद्यमियों को लगेगा झटका
एसएमई फार्मा इंडस्ट्रीज फेडरेशन के सीनियर वाइस चेयरमैन जीडी छिब्बर के अनुसार हिमाचल, उत्तराखंड और जेएंडके में देश की अधिकतर दवा इंडस्ट्रीज मौजूद हैं। क्योंकि पहाड़ी इलाका होने की वजह से इन राज्यों को उद्योगों के लिए एक्साइज फ्री जोन रखा गया था। इसके लिए कुछ वर्षों की समय-सीमा तय की गई थी। अभी यहां इंडस्ट्रीज को एक्साइज नहीं देना पड़ता था। इन राज्यों से बाहर जो भी दवाएं जाएंगी, वह जीएसटी के दायरे में आएंगी और इन राज्यों के दवा उद्योगों को बड़ा झटका लगेगा।