पेट्रोल और डीजल पंपों पर अब घटतौली का खेल नहीं चल पाएगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के मैकेनिकल विभाग के पीएचडी छात्रों ने खास तरह की डिवाइस (फ्यूल क्वांटिफायर) ईजाद की है। इसे कार या बाइक की टंकी में इंस्टॉल किया जा सकेगा। पेट्रोल -डीजल पंप मशीन का नोजल, डिवाइस के अंदर से होते हुए टंकी में जाएगा। इसकी मदद से तुरंत ही टंकी में डीजल-पेट्रोल की वास्तविक मात्र पता चल जाएगी। इसको बनाने में महज 1500 से 2000 रुपये की लागत आई है। संस्थान ने इस शोध को पेटेंट करा लिया है।
गुणवत्ता जांचने के लिए बना रहे डिवाइस
आइआइटी के विशेषज्ञ पेट्रोल-डीजल में मिलावट की पड़ताल के लिए डिवाइस बना रहे हैं। इसे फ्यूल क्वांटिफायर एडवांस नाम दिया गया है। डिवाइस को लैब में परख लिया गया है। उसको पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है।
कोन के आकार की है डिवाइस
डिवाइस को कोन के आकार में तैयार किया गया है। इसे टैंक में आसानी से लगाया जा सकता है। संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि सर्किट को ब्लू टूथ डिवाइस या फिर वाई फाई से जोड़ा जा सकता है। सर्किट में छोटी सी बैट्री भी लगती है। रीडिंग कुछ ही पल में मोबाइल स्क्रीन पर आ सकेगी। अलग से एक स्क्रीन डैशबोर्ड पर भी लगाई जा सकती है। शोधकर्ता ने बताया कि इसके लिए एप भी लांच करने की तैयारी है।
स्टार्टअप की तैयारी
आइआइटी के विशेषज्ञ डिवाइस की मदद से स्टार्टअप की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए कंपनी खोलने की भी प्लानिंग है। गुरुग्राम की कार कंपनी से बातचीत चल रही है। कंपनी ने डिवाइस का सर्वे भी कराया है।
ऐसे करती है काम
फ्यूल क्वांटिफायर डिवाइस प्रति यूनिट टाइम के हिसाब से तेल की माप करती है। यह तेल के फ्लो रेट को माप लेता है। नोजल से टंकी में तेल जाने की गति चाहे तेज हो या फिर धीमी, उसका असर नहीं पड़ता है। मैकेनिकल विभाग के प्रो. नचिकेता तिवारी की देखरेख में पीएचडी के छात्र माधवराव लोंधे और महेंद्र कुमार गोहिल ने उपकरण को तैयार किया है। इनके मुताबिक डिवाइस में कई सेंसर लगे हैं। सबसे पहले तेल मैगनेटिक रोटर में जाता है। इसमें काफी संख्या में निगेटिव और पॉजिटिव ब्लेड होते हैं। ब्लेड के घूमते ही तेल के फ्लो की रीडिंग माइक्रो प्रोसेसर यूनिट में आ जाएगी।