कितनी भी बारिश हो लेकिन वह इस समय सुखना को उसके असल स्वरूप में लाने के लिए काफी नहीं

कितनी भी बारिश हो लेकिन वह इस समय सुखना को उसके असल स्वरूप में लाने के लिए काफी नहीं

कितनी भी बारिश हो लेकिन वह इस समय सुखना को उसके असल स्वरूप में लाने के लिए काफी नहीं

सुखना लेक को बचाने के लिए और इसमें पानी की कमी को पूरा करने के लिए भूजल के इस्तेमाल के विकल्प से हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट में कहा गया कि हाल ही में पीएम इज़रायल गए थे और वहां उन्हें समुद्र का खारा पानी पिलाया गया था, जिसे ट्रीट किया गया था। यदि तकनीकी का प्रयोग किया जाए तो इसी प्रकार पानी को ट्रीट करके सुखना को भरा जा सकता है। इज़रायल 90 प्रतिशत पानी को री साईकिल करता है।
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि सुखना को यदि 2 एमजीडी पानी से भरा जाए तो यह उसके लिए उपयुक्त होगा। इसके लिए लगातार चार माह तक पानी को सुखना में पंप करना होगा। हाईकोर्ट ने इस विकल्प को नकारते हुए कहा कि लोगों की जरूरत के लिए भूजल है और इसका उपयोग अब सुखना को भरने के लिए नहीं किया जाएगा। इस दौरान पानी की कमी पर हाईकोर्ट ने कहा कि इस समय पानी 20 साल के सबसे निचले स्तर पर है और यह चिंता का विषय है। ऐसे में इस दिशा में गंभीरता से काम करना होगा।

कितनी भी बारिश हो लेकिन वह इस समय सुखना को उसके असल स्वरूप में लाने के लिए काफी नहीं होगी। इस दौरान अमिकस क्यूरी एमएल सरीन ने हाल ही में पीएम मोदी के इज़रायल दौरे और इज़रायल की तकनीक केबारे में बताया। सरीन ने कहा कि इज़रायल ऐसा देश है जहां 90 प्रतिशत पानी को री-साईकिल किया जाता है। वहां समुद्र के पानी को भी पीने लायक बनाने की तकनीक है। ऐसे में तकनीक का फायदा उठाकर सुखना को भरने के विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए।

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