Sachin Tendulkar

‘क्रिकेट के भगवान’ ने भी कहा- ‘यो-यो टेस्ट में फेल खिलाड़ियों को बाहर करना एकदम गलत’

एमएस धोनी का लंबा करियर हो या फिर मोहम्मद शमी की इंग्लैंड दौरे के लिए टीम इंडिया में वापसी, यो-यो टेस्ट ने कई खिलाड़ियों के करियर में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर का मानना है कि सिर्फ यो-यो टेस्ट ही चयन का मानदंड नहीं होना चाहिए।

शमी को अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के लिए टीम इंडिया में नहीं चुना गया था क्योंकि वह यो-यो टेस्ट में फेल हो गए थे। उन्होंने जनवरी में जोहानसबर्ग टेस्ट के बाद से अब तक कोई इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है। मगर इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए उन्हें 18 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है। इसी प्रकार जब धोनी के मौजूदा फॉर्म पर सवाल खड़े हो रहे थे, तब टीम में उनकी जगह को लेकर कोई खतरा नहीं था क्योंकि उनका अनुभव अपार है और उनकी फिटनेस बेहतरीन है।

तेंदुलकर का मानना है कि चयन के समय यो-यो टेस्ट के अलावा अन्य फैक्टर्स का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि फील्डिंग का स्तर चुनौतीपूर्ण होता है। अब मैंने कभी यो-यो टेस्ट नहीं किया। हमारे समय बीप टेस्ट होता था, जो इसके समान ही है। मगर चयन सिर्फ बीप टेस्ट पर निर्भर नहीं रहता था। इसमें फिटनेस और खिलाड़ी की क्षमता का भी ध्यान रखा जाता था। मेरे ख्याल से यो-यो टेस्ट महत्वपूर्ण हैं, लेकिन खिलाड़ी की क्षमता को ध्यान में रखते हुए यह भी देखना चाहिए कि वह कितना फिट या अनफिट है।

‘यो-यो’ टेस्ट की वजह से अंबाती रायुडू और संजू सैमन क्रमश: राष्ट्रीय व भारत ए में अपनी जगह गंवा चुके हैं। दोनों ही खिलाड़ियों ने आईपीएल में दमदार प्रदर्शन किया था। रायुडू ने तीन अर्धशतक और एक शतक ठोका था और उनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ने तीसरी बार खिताब जीता था।

टीम इंडिया का मौजूदा इंग्लैंड दौरा मिश्रित रहा है। जहां ‘मेन इन ब्लू’ ने टी-20 इंटरनेशनल सीरीज 2-1 से अपने नाम की, वहीं वन-डे सीरीज 1-2 से गंवा बैठा। कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने इंग्लिश बल्लेबाजों को जहां परेशान किया तो आदिल राशिद व मोइन अली भारतीय बल्लेबाजों के लिए खौफ बने। तेंदुलकर ने कहा कि अगर टेस्ट सीरीज में परिस्थिति इसी प्रकार की रही तो भारतीय बल्लेबाजों को काफी परेशानी होने वाली है।

44 वर्षीय तेंदुलकर ने कहा, ‘अगर वन-डे के समान टेस्ट सीरीज में भी इसी प्रकार की पिच मिली तो हमारे स्पिनर्स पर मैच निकालने का दारोमदार होगा। वहीं इंग्लिश स्पिनर्स भी भारतीय बल्लेबाजों को परेशान करेंगे। मगर टेस्ट में अगर स्पिनर्स के लिए पिच मददगार नहीं हुई तो हमारी बल्लेबाजी में काफी गहराई है। इसलिए अच्छी पिच पर हमारे बल्लेबाज काफी खतरनाक साबित होंगे।’

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