गंभीर हों सरकारें, छात्रों को पढ़ाई छोड़ आंदोलन का शौक नहीं
‘पीयू के आर्थिक संकट को लेकर केंद्र व राज्य सरकारें दोनों गंभीर हो जाएं और अपना-अपना हिस्सा पीयू अथारिटी को दे, छात्रों को सड़कों पर उतरने का शौक नहीं है।’ यह विचार छात्रों ने पीयू केछात्रों ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत केदौरान व्यक्त किए।
पंजाब यूनिवर्सिटी बहुत ही प्रख्यात विश्वविद्यालय हैं, लेकिन फंड के लिए आज इस विश्वविद्यालय की अथारिटी को धक्के खाने और बार-बार हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर दिया गया है। समाधान यही है कि केंद्र व राज्य सरकारें अपने हिस्सा ईमानदारी से पीयू को दें।
-रजत शर्मा, पीयू छात्र
छात्र यहां बेहतर भविष्य बनाने आते हैं, न कि राजनीति करने। इसलिए इस मसले को राजनीतिक रूप न दिया जाए, तो बेहतर होगा। ईवनिंग कक्षाआें के खिलाफ भी कुछ साजिश चल रही है, वो भी अच्छी बात नहीं।
-पुष्पिंद्र चहल, पीयू छात्र
आज पीयू जिस दौर से गुजर रही है, उसके लिए केंद्र व पंजाब सरकार ही जिम्मेवार है। क्योंकि पीयू को जारी फंड अनियमितताएं आईं? क्यों समय पर पीयू को फंड नहीं दिया गया। ये पीयू का वजूद खत्म करने की साजिश है, जिसका खामियाजा छात्रों को भी भुगतना पड़ रहा है।
-गुरप्रीत सिंह, पीयू छात्र