गरीब किसान का बेटा बना PGI का डायरेक्टर, मेहनत-लग्न की बेमिसाल कहानी
लंबे इंतजार और कई विवादों के बाद आखिरकार पीजीआई को नया डायरेक्टर मिल गया है। कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी (एसीसी) से हरी झंडी मिलने के बाद शुक्रवार को कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने डॉ. जगतराम को नया डायरेक्टर नियुक्त कर दिया है।Sponsored Links
डॉ. जगतराम पीजीआई के ऑप्थल्मोलॉजी (आई) डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) हैं। वह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के राजगढ़ के रहने वाले हैं। पीजीआई के कैरोब्लॉक में शुक्रवार देर शाम उन्होंने डायरेक्टर का पदभार भी संभाल लिया। पिछले साल छह अक्तूबर को डॉ. योगेश कुमार चावला डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए थे। उसके बाद से पीजीआई के डीन डा. सुभाष वर्मा कार्यकारी डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे।
डा. जगतराम के पक्ष में गई ये बातें
1.डा. जगतराम के पूरे कैरियर में उन पर कोई दाग नहीं लगा, ये सबसे बड़ी उनकी उपलब्धि रही है।
2.पीजीआई की वरिष्ठता सूची में डा. जगतराम इन तीनों में सबसे सीनियर है।
3.अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग ने जांच में पाया था कि डा. जगतराम सबसे अनुभवी हैं, लेकिन उन्हें तीसरे नंबर पर रखा गया है।
4.37 साल के कैरियर में दस हजार से ज्यादा आंखों की सर्जरी।
5.24 से ज्यादा नेशनल व इंटरनेशनल अवार्ड। कई सारी सर्जरी की नई तकनीक ईजाद करना।
6.विश्व की सबसे बड़ी सोसाइटी अमेरिकन सोसाइटी कैटरेक्ट एंड रीफ्रक्टिव सोसाइटी की ओर से बेस्ट आफ दी बेस्ट विनर के अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. जगतराम गरीब किसान के बेटे हैं। 1979 में जब वह पीजीआई में एमडी की परीक्षा देने आए थे तो परीक्षा देने के बाद कैरों ब्लॉक के आगे ही पेड़ के नीचे सो गए थे। उनके पिता पढ़े लिखे नहीं थे, इसके बावजूद अपनी प्रतिभा, मेहनत और लग्न से वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
इसलिए भंसाली नहीं बन पाए डायरेक्टर
1.डायरेक्टर पोस्ट के लिए आयु सीमा 60 साल निर्धारित थी, जबकि भंसाली की उम्र 61 साल पार कर गई थी।
2.साल 2006 में डिपार्टमेंट में प्राइवेट कंपनी की मशीन लगाने पर उनके खिलाफ विजिलेंस इंक्वायरी हुई थी। उस दौरान उन्हें एडवाइजरी नोट जारी किया गया था।
3.साल 2013 में डा. भंसाली एक रिसर्च पेपर के कॉरस्पाडिंग आथर थे। उनके जूनियर डा. पिनाकी दत्ता भी उसके आथर थे। डा. दत्ता पर अनऐथिकल प्रैक्टिस का आरोप लगा था।
4.डा. भंसाली पीजीआई की वरिष्ठता सूची में 27 नंबर पर थे, जबकि डा. जगतराम टॉप टेन की लिस्ट में थे।
5.डायरेक्टर की नियुक्ति का विवाद नेशनल मीडिया में छाना।