सरपंच सतनाम सिंह की हत्या के आरोपी गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह उर्फ बाबा की मुठभेड़ में पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद अब चंडीगढ़ पुलिस की नाकामी की परतें भी खुल रही हैं। दिसम्बर-2017 में नशे की ओवर डोज से हालत खराब होने पर दिलप्रीत यहां पी.जी.आई. में दाखिल रह चुका है। तब पी.जी.आई. में उसका तीन दिन तक इलाज चला था।
दिलप्रीत को सैक्टर-38 निवासी उसकी गर्ल फ्रैंड रूपिंद्र कौर ने ही पी.जी.आई. में दाखिल करवाया था। रूपिंदर कौर ने पी.जी.आई. में दिलप्रीत को गगनदीप के नाम से दाखिल करवाया था और तीमारदार के रूप में रूपिंदर कौर ने खुद ही दिलप्रीत की देखभाल की थी। पी.जी.आई. से डिस्चार्ज होने के बाद रूपिंदर कौर ही उसे सैक्टर-38 स्थित अपने मकान पर ले गई। यहां वह कई दिन तक रहा था लेकिन उस समय भी चंडीगढ़ पुलिस दिलप्रीत तक नहीं पहुंच सकी थी।
चंडीगढ़ को मानता था सेफ :
गैंगस्टर दिलप्रीत चंडीगढ़ को अपने लिए बिल्कुल सेफ सिटी मानता था। वह पंजाब में सिर्फ आपराधिक वारदात को अंजाम देने के लिए जाता था। वह अपनी मां और बहन को मिलने के लिए भी चंडीगढ़ ही बुलाता था। वह अपनी मां और बहन से सैक्टर-34 के गुरुद्वारे में मुलाकात करता था। इसके बाद वह रूपिंदर कौर के मकान पर जाकर रहता था।
गैंगस्टरों के लिए चंडीगढ़ बना सुरक्षित ठिकाना :
गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह तो 2017 से सैक्टर-38 में अपनी गर्ल फ्रैंड रूपिंदर कौर के साथ रहता ही था, बल्कि हरविंदर सिंह उर्फ रिंद्रा भी सैक्टर-10 स्थित माऊंट व्यू होटल में आकर रुका रहा।
28 अप्रैल 2016 को पी.यू. में चल रहे फैशन शो के दौरान सोई और सोपू समर्थकों के बीच मारपीट में गैंगस्टर हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा सोई के लीडर और कार्यकर्ताओं पर गोली चलाकर फरार हो गया था। चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच के अधिकारी गैंगस्टरों को पकडऩे के लिए कई बार पंचकूला और मोहाली पुलिस की क्राइम ब्रांच से बैठक कर चुके हैं लेकिन इन बैठकों का कोई फायदा नहीं हुआ।