आइआइटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायो केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने अनोखा शोध करके ऐसी पट्टी बनाई है जो घाव भरने के साथ अपने आप घुल जाती है।
पट्टी खींचने की नहीं पड़ेगी जरूरत
अक्सर आप चोट लगने के बाद बैंडेज लगाने से इसलिए कतराते हैं कि उसे उखाड़ने में कई बार चोट से भी ज्यादा दर्द सहना पड़ता है। अब इस चिंता से मुक्त होने का रास्ता मिल गया है। कटने, जलने या अन्य किसी प्रकार के घाव के बाद आपको इस दर्द से बचाने की तरकीब की खोज कर ली गई है। इसकी मदद से उस दर्द से छुटकारा मिल जाएगा जो घाव पर लगी पट्टी को उखाडऩे के दौरान सहन करना पड़ता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), बीएचयू के स्कूल ऑफ बायो केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने डीआरडीओ के सहयोग से एक ऐसी पट्टी यानी बाइलेयर मेंबरिंग तैयार की, जो घाव को ठीक कर देगी और खाल में ही घुल भी जाएगी। ये जख्मी जवानों के घाव को भरने में काफी सहायक होगी। इसमें खास बात यह है कि इसको एक बार चिपकाने के बाद हटाने का झंझट नहीं रहेगा। इसके लिए डीआरडीओ, भारत सरकार के सहयोग से विभाग के प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव के निर्देशन में शोध छात्र दिवाकर सिंह ने चार वर्षों तक काम किया। हालांकि, यह डीआरडीओ के लिए प्रयोग है मगर संभावना है कि आम जनता के लिए भी आने वाले दिनों में सुलभ हो सकेगी।
दो लेयर में पट्टी
प्रो. श्रीवास्तव ने बताया कि बाइलेयर मेंबरिंग पट्टी दो पर्तों में है। एक परत त्वचा को मुलायम व नमी बनाने में मदद करेगी। वहीं दूसरी बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाएगी। साथ ही इसमें त्वचा के नए सेल बनाने की भी क्षमता है। चिपकाने के बाद जिस गति से सेल बनेंगे उसी तरह धीरे-धीरे पट्टी घुलती जाएगी। साथ ही
यह पट्टी पूरी तरह जैविक एवं हर्बल है। प्रो. श्रीवास्तव के अनुसार घाव सुखाने वाली पट्टी पर इस तरह का पहला प्रयोग है। इसमें नीम, बरगद, एलोवेरा के आदि के तत्व हैं।
डीआरडीओ भेजी गई रिपोर्ट
प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि यह शोध जानवरों पर सफल साबित हुआ है। इसका पेटेंट भी हो चुका है। इसकी रिपोर्ट डीआरडीओ को भेज दी गई है। अब मनुष्य पर ट्रायल के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। इसके बाद किसी चिकित्सक के साथ मिलकर मरीजों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।