चंडीगढ़ ने देश को नई राह दिखाई है। वह देश का पहला शहर होगा जो पूरर तरह अक्षय ऊर्जा पर निर्भर होगा। शहर इस समय 70 फीसदी बिजली की आपूर्ति अक्षय ऊर्जा से हो रही है।
सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है जहां बिजली के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी यानी अक्षय ऊर्जा का शत-प्रतिशत इस्तेमाल होगा। कोयले से बनी बिजली इस शहर के लिए बीते जमाने की बात होने जा रही है। फिलहाल यहां 70 प्रतिशत बिजली की पूर्ति अक्षय ऊर्जा के रूप में हो रही है। साल के अंत तक इसे 100 प्रतिशत पर पहुंचाने का लक्ष्य है, जिसके बाद शहर पूरी तरह अक्षय ऊर्जा पर निर्भर हो जाएगा।
अभी 70 प्रतिशत निर्भरता व साल के अंत तक हो जाएगा साै फीसद, झील-जलाशयों में लगाए फ्लोटिंग पैनल
शहर के पांच मंजिला से अधिक के सभी भवनों पर भी सोलर पैनल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए लोगों को 16 मई तक का समय दिया गया है। सेक्टर-39 के वॉटर वर्क्स पर शहर का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट लगाने को मंजूरी मिल गई है। शहर के सभी स्कूल व कॉलेजों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का अधिकतर काम भी पूरा कर लिया गया है।
न्यूनतम पांच मंजिला इमारतों, स्कूलों-कॉलेजों, सरकारी इमारतों की छत पर सोलर पैनल लगाने के आदेश
चंडीगढ़ प्रशासन ने 50 मेगावॉट विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) उपलब्ध कराने के लिए भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी, एमएनआरई) ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिसंबर, 2018 तक का समय दिया है। इस समय सीमा में चंडीगढ़ अपने आप को पूरी तरह बदल लेगा।
ऐसे किया बदलाव…
शहर में बिजली की कुल खपत रोजाना 350 से 450 मेगावाट तक पहुंच जाती है। इसमें 202 मेगावॉट (जल विद्युत के रूप में) हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी से जेनरेट होकर आती है। 60 मेगावॉट (कोयले से ताप ऊर्जा के रूप में) विभिन्न थर्मल प्लांट से जेनरेट होकर मिलती है। 16 मेगावाट (सौर ऊर्जा के रूप में) सभी सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाकर तैयार की जा रही है।
इसके अलावा 10 मेगावॉट (नाभिकीय ऊर्जा के रूप में) न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन से मिल रही है। चंडीगढ़ प्रशासन का लक्ष्य है कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के जरिये पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म कर शहर को पर्यावरण हितैषी अक्षय ऊर्जा पर पूर्ण निर्भर बना दिया जाए।
एमएनआरई ने देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बिजली खपत और उसके स्रोत की विस्तृत जानकारी मांगी थी। जिन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में 60 प्रतिशत से अधिक अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है, वहां इसे 100 प्रतिशत किया जाना है। 70 प्रतिशत के साथ चंडीगढ़ इसमें आगे रहा, जिसे अगले चरण के लिए चुना गया।
” चंडीगढ़ में फिलहाल 70 प्रतिशत बिजली की पूर्ति अक्षय ऊर्जा स्रोतों से हो रही है। पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के स्रोत बढ़ाते हुए इसे साल के अंत तक शतप्रतिशत करने का लक्ष्य है।
-संतोष कुमार, सीईओ, चंडीगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी।