चंडीगढ़ हिंदुस्तान का ही हिस्सा है तो इससे भेदभाव क्यों करता है केंद्र: हाईकोर्ट
चंडीगढ़ के निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी पर लगाम के लिए पंजाब एक्ट अपनाने का मामला विभिन्न मंत्रालयों के बीच फंसना केंद्र के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। कोर्ट को बताया गया कि यूटी प्रशासन ने प्रस्ताव एमएचआरडी को भेजा गया था जबकि इसे एमएचए को भेजा जाना था। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्यों चंडीगढ़ के हर काम में टांग अड़ा दी जाती है। पीयू हो या एयरपोर्ट, पीजीआई हो या डेंटल कॉलेज हर मामले में केंद्र चंडीगढ़ प्रशासन के साथ सौतेला व्यवहार करता नजर आता है। ऐसा लगता है कि चंडीगढ़ प्रशासन को पाकिस्तान प्रशासन मान कर केंद्र ने बर्ताव करना आरंभ कर दिया है।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा कि पंजाब रेगुलेशन ऑफ फीस ऑफ अनडिड एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन एक्ट-2016 की तर्ज पर नियम चंडीगढ़ में लागू करने को मंजूरी दी गई या नहीं। इस पर केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने इस बिल को मंजूरी के लिए गलती से ऐसे मंत्रालय को भेजा जिससे इसका कोई लेना-देना नहीं था। जब इस बारे में जानकारी मिली तो प्रस्ताव को एमएचआरडी ने संबंधित मंत्रालय एमएचए को भेज दिया है। इस मामले में कानूनी राय ली जा रही है और इसके बाद नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी जाएगी।
इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा। इसलिए केंद्र सरकार को समय दिया जाए। केंद्र के इस जवाब पर हाईकोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्र ने क्या सौतेला व्यवहार करने के लिए इसी शहर को चुना है। कोई भी प्रोजेक्ट हो या योजना सभी में दिल्ली में बैठे अफसर अड़ंगा लगा देते हैं।