चंडीगढ़ की एक होनहार छात्रा ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से सी.सी.टी.वी. में कैद होने वाली किसी इंसान की तस्वीर को फुल फेस तैयार कर पहचाना जा सकता है। अमेरिकन एकैडमी ऑफ फोरैंसिक साइंस में इसकी प्रैजैंटेशन के बाद से चंडीगढ़ पुलिस ने भी इस सॉफ्टवेयर की मांग की है जिससे अपराध के मामलों को सॉल्व करने में मदद ली जा सके।
सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली टीम को यह सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध किया गया है। अभी तक सी.सी.टी.वी. कैमरों में जो तस्वीरें कैप्चर होती हैं उनमें महज हाफ फेस ही नजर आता है जिससे ज्यादातर केसों में चेहरा पहचानना मुश्किल हो जाता है और अपराध के मामलों में चेहरा पहचाने में दिक्कत पेश आती थी।
पी.यू. के सिस्टम बायोलॉजी और बायो-इनफार्मेटिक्स डिपार्टमैंट की पी.एचडी. स्टूडैंट परमजीत कौर के मुताबिक घरों के बाहर और ए.टी.एम. में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरों में जो तस्वीरें कैद होती हैं उनमें हॉफ फेस ही विजिबल होता है। इससे डिस्टोर्टिड इमेजिस तैयार होती हैं।
हमने एससी फेस डाटाबेस और आई.एम.एस.डी.बी. डाटाबेस साफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से सी.सी.टी.वी. की हॉफ इमेजिस को फुल फेस कंस्ट्रक्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सिस्टम बायोलॉजी व बायो-इनफार्मेटिक्स के सुरेश शर्मा उनके मुख्य जबकि एंथ्रोपोलॉजी के केवल कृष्ण उनके को-गाइड हैं।
लाइट की वजह से होती है चेहरा साफ आने में दिक्कत :
सी.सी.टी.वी. की तस्वीरें पहचानने में सबसे ज्यादा दिक्कत लाइट की वजह से होती है, जहां लाइट तेज होती है वहां तस्वीरें स्पष्ट नहीं आ पाती। फेस ए-सिमिट्री और मिरर इमेजिंग टैक्नोलॉजी का फुल फेस कंस्ट्रक्शन में इस्तेमाल किया जाता है।
मैटलैब (मैट्रिक्स लैबोरट्री) वर्जन की मदद से ऐसा टूल विकसित किया गया है जिससे पूरा चेहरा बनाया जा सकता है। केवल आटोमेटिड सर्विलांस सिस्टम में ही नहीं बल्कि प्लास्टिक सर्जरी की फील्ड में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। सर्विलांस कैमरा फेस डाटाबेस (एससीफेस) और इंडियन मूवी फेस डाटाबेस (आर्इ.एम.एफ.डी.बी.) की मदद से यह साफ्टवेयर तैयार किया गया है।
चंडीगढ़ पुलिस ने मांगा था सॉफ्टवेयर :
परमजीत ने बताया कि सी.सी.टी.वी. में 3-डी इमेजिस होती हैं। उन्हें अगर 2-डी इमेज में कन्वर्ट कर दिया जाए तो चेहरे के साथ पूरी इमेज स्पष्ट हो जाएगी। परमजीत के अनुसार पोज की प्रॉब्लम पर अभी काम चल रहा है। इसके इमेज रोटेशन पर काम जारी है।
जैसे ही काम पूरा होगा तो वह इसे पेटेंट कराएंगे, ताकि कोई इमेज का इस्तेमाल न कर सके। परमजीत के अनुसार अमेरिकन एकेडमी आफ फोरैंसिक साइंस में जब यह शोध पेश किया गया था तो चंडीगढ़ पुलिस ने उनसे यह सॉफ्टवेयर मांगा था ताकि अपराध के कई मामलों को सुलझाया जा सके।