ऑटोमैटिक ड्राइविंग टैस्ट देने के लिए शहरवासी तैयार हो जाएं, क्योंकि रजिस्ट्रेशन एंड लाइसैंसिंग अथॉरिटी (आर.एल.ए.) सैक्टर-23 स्थित चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर जून के पहले सप्ताह में ड्राइविंग टैस्ट लेना शुरू कर देगा। पिछले एक सप्ताह से यहां पर इसे शुरू करने के लिए ट्रायल चल रहा है।
विभाग पारदर्शिता लाने के लिए इस सिस्टम को शुरू कर रहा है, ताकि बिचौलिए और सीनियर अधिकारी ड्राइविंग टैस्ट को प्रभावित न कर सकें। गौरतलब है कि विभाग ने वर्ष 2014 में इसे शुरू करने का फैसला लिया था और सैंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (सी.आई.आर.टी.) पुणे को इसका काम अलॉट किया था। इस संबंध में आर.एल.ए. राकेश कुमार पोपली ने कहा कि हालांकि अभी इस काम को शुरू करने के लिए उन्होंने डेट फाइनल करनी है, लेकिन इतना तय है कि जून के पहले सप्ताह में इसे शुरू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले पुलिस और विजीलैंस डिपार्टमैंट ने कई बिचौलिए को पकड़ा था, जो कि टैस्ट का रिजल्ट प्रभावित करने का प्रयास करते थे। लेकिन अब इस सिस्टम के बाद बिचौलिए ऐसा कुछ नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे हादसों में भी कमी आएगी, क्योंकि वो ही लाइसैंस पाने में सफल रहेंगे, जोकि ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक पर टैस्ट को क्लीयर करेंगे। इस टैस्ट से जहां बिचौलियों से तो छुटकारा मिलेगा ही, लेकिन ऑटोमैटिक होने के चलते ये आसान भी नहीं होगा, इसलिए आवेदक को टैस्ट पूरी तैयारी के साथ ही देना होगा।
यह है ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक :
ऑटोमैटिक ट्रैक्स खासतौर पर डिजाइन की गई रोड है, जिसके हर मोड़ पर सैंसर्स लगाए गए हैं, जोकि ड्राइवर की परफॉर्मेंस का पता लगाएंगे और सही रूप में रिजल्ट देंगे। पोल और सिग्नल्स पर लगे कैमरे उनकी परफॉर्मेंस पर नजर रखेंगे।
ये ऑटोमैटिक सिस्टम अब मैन्युअल सिस्टम से छुटकारा देगा, जिसमें कि सिर्फ एक अधिकारी की देखरेख में पूरा टैस्ट होता है और वही इसका रिजल्ट जारी करता है। आवेदन करने वाले को इस ट्रैक पर ड्राइव करने के लिए कहा जाएगा। कैमरा और सैंसर टैस्ट को रिकॉड करेंगे। ट्रैक पर कैमरे वास्तविक समय में पथ की जानकारी एकत्र करेंगे, वाहन द्वारा तय किए गए पथ का पता लगाएंगे और इसे कम्प्यूटर पर डिस्पले करेंगे।
इसका उपयोग आवेदक के ड्राइविंग स्किल्स का मूल्यांकन करने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा आवेदक को एक रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडैंटिफिकेशन कार्ड भी इश्यू किया जाएगा, ताकि अगर वह कोई गलती करता है तो रेडियो फ्रीक्वैंसी इलैक्ट्रोमैग्नेटिक के यूज से उसका पता लगाया जा सकेगा।
कंट्रोल रूम पर आएगी पूरी रिपोर्ट :
इस टैस्ट के बाद ही पूरी रिपोर्ट ट्रैक के पास में बने एक कंट्रोल रूम में आ जाएगी और साथ के साथ ही इसका रिजल्ट भी डिक्लेयर कर दिया जाएगा। आवेदन करने वाले को सात ट्रैक पर वाहन को ड्राइव करना होगा, जिसमें कि रिजर्व ट्रैक, यू-टर्न ट्रैक, रॉन्ग टर्न ट्रैक, फोर जंक्शन ट्रैक, राउंड अबाउट ट्रैक और ग्रेडिएंट ट्रैक आदि शामिल है।