चंडीगढ़ प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए केंद्र सरकार से 5908 करोड़ का बजट मांगा था मगर यूटी को महज 4511.91 करोड़ रुपये बजट में दिए गए हैं। इसमें से 4006.88 करोड़ रुपये रेवेन्यू हेड के तहत और 505.03 करोड़ रुपये कैपिटल हेड के तहत दिए गए हैं।
इस बार यूटी को जो बजट मिला है, वह मांगे गए बजट से 23.64 प्रतिशत कम है और करीब 1397 करोड़ रुपये पर कैंची चली है। ऐसे मेें यूटी के कई अहम प्रोजेक्ट लटक सकते हैं। बता दें कि पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस बार बजट में महज 4.60 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह इजाफा पिछले तीन सालों के बजट में हुए इजाफे से कई गुना कम है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2016-17 के बजट के मुकाबले 9.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ था जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2015-16 के मुकाबले 8.40 प्रतिशत बजट अधिक मिला था। पिछले तीन सालों की बात करें तो इस बार के बजट में सबसे कम इजाफा हुआ है।
पिछली बार मिले बजट के मुकाबले यूटी ने केंद्र सरकार से इस बार करीब 1600 करोड़ रुपये अधिक मांगे थे। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मिले बजट से इस बार 199 करोड़ रुपये अधिक मिले हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में चंडीगढ़ नगर निगम के लिए ही मात्र 1100 करोड़ रुपये मांगे गए थे लेकिन निगम को भी मांगे गए बजट का एक तिहाई हिस्सा तक हासिल नहीं हुआ।
केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए दिए गए बजट का पूरा लेखा-जोखा देखा जाए तो इस बार चंडीगढ़ के बजट पर सीधे-सीधे मार पड़ी है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि यूटी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 4312 करोड़ बजट और रिवाइज्ड बजट में 380 करोड़ रुपये दिए गए थे। इसमें से यूटी प्रशासन अब तक वित्तीय वर्ष 2017-18 के कुल बजट यानी (4312+380) 4692 करोड़ रुपये का मात्र 85 प्रतिशत बजट इस्तेमाल कर सका है यानी कुल बजट का 15 प्रतिशत लैप्स हो जाएगा। अगर इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रशासनिक बजट की स्थिति
वित्तीय वर्ष 2017-18 में यूटी प्रशासन को केंद्र सरकार से मिला बजट मांगे गए बजट से काफी कम था। पिछले वित्तीय वर्ष 4312 करोड़ ही बजट में मिले थे। बजट का एक बड़ा हिस्सा यूटी के कर्मचारियों को वेतन देने में ही निकल जाता है। ऐसे में तमाम महत्वाकांक्षी योजनाएं बजट के अभाव में अधूरी पड़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मिले 4312 करोड़ रुपये बजट में से 475 करोड़ बजट कैपिटल और 3887 करोड़ रुपये रेवेन्यू हेड के तहत दिए गए थे। रिवाइज्ड बजट में भी वित्तीय वर्ष 2017-18 में यूटी प्रशासन को कें द्र सरकार से 179 करोड़ ही मिले थे। वह भी किसानों को मुआवजा देने में चला गया।
रिवाइज्ड एस्टीमेट बजट में भी लगता रहा है झटका
वित्तीय वर्ष 2016-17 में यूटी प्रशासन ने केंद्र सरकार से 5500 करोड़ रुपये बजट के लिए मांगे थे लेकिन केंद्र ने चंडीगढ़ की झोली में 3937.79 करोड़ रुपये बजट में दिए थे। वित्तीय वर्ष 2016-17 के रिवाइज्ड बजट में यूटी को 331 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट मिला था। वहीं, 2017-18 में 6151 करोड़ रुपये बजट के लिए मांगे गए थे लेकिन केंद्र ने 4312.40 रुपये ही दिए थे।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में रिवाइज्ड एस्टीमेट बजट में चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्र सरकार से 1500 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन यूटी प्रशासन को केंद्र सरकार से महज 380 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें से चंडीगढ़ प्रशासन ने 179 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण के लिए कोर्ट में जमा करा दिए थे। बाकी के पैसे भी जमीन अधिग्रहण के लिए बजट के रूप में रख दिए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मांगे गए बजट की अगर बात करें तो, उस पर करीब 1800 करोड़ रुपये की कैंची चली थी।
वित्तीय वर्ष कितना बजट मांगा कितना बजट मिला एडिशनल बजट मांगे गए बजट पर कितना कट प्रतिशत
2015-16 4,000 करोड़ 3,543 करोड़ – 457 करोड़ –
2016-17 5,500 करोड़ 3937.79 करोड़ 331 1563 करोड़ 8.40
2017-18 6151 करोड़ 4312 करोड़ 380 1459 करोड़ 9.51
2018-19 5,908 करोड़ 4,511 करोड़ – 1397 करोड़ 4.60
इस क्षेत्र में मिले इतने
केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए चंडीगढ़ को बजट में दिए 4511.91 करोड़ रुपये
क्षेत्र बजट (करोड़ में )
स्वास्थ्य 478.92
शिक्षा 827.90
पुलिस 497.96
ट्रांसपोर्ट 252.65
बिजली एवं ऊर्जा 943.28
हाउसिंग एवं शहरी विकास 826.31
वन्य विभाग 28.87
सेक्रे टरिएट 23.25
फूड एंड सप्लाई 10.67
कृषि विभाग 8.96
श्रम एवं रोजगार 28.66
रूरल डेवलपमेंट 7.59
गांव एवं लघु उद्योग 2.17
फ्लड कंट्रोल 0.30
स्पोर्ट्स, टूरिज्म व अन्य क्षेत्रों के लिए 574.42
कुल 4511.91