जेलों में हर साल हो रहीं कैदियों की मौत
जेलों में संदिग्ध हालात में कैदियों की मौत के मामले में देश में लगातार दूसरे नंबर पर चल रहे पंजाब के हालात अब सुधरे हैं। हालांकि साल 2012 से 2015 के दौरान सूबे की जेलों में 43 कैदियों ने आत्महत्या, अन्य कैदियों की ओर से किए हमले और जेल स्टाफ की लापरवाही के चलते जान गंवा दी।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। मामला इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर सभी हाईकोर्ट को निर्देश जारी कर ऐसे मामलों की जांच और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलाने का समुचित प्रबंध करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में समय-समय पर संबंधित राज्यों को मानवाधिकार आयोग की तरफ से पुलिस को जारी दिशानिर्देशों पर काम न होने को भी गंभीरता से लिया है।
पंजाब की जेलों में कैदियों की अप्राकृतिक मौतों के मामले लंबे समय से सामने आते रहे हैं। साल 2014 के दौरान पंजाब के जेलों में 218 कैदियों की स्वाभाविक मौत हुई। जबकि 10 कैदियों ने आत्महत्या कर ली। एनसीआरबी की साल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की जेलों में सर्वाधिक कुल 323 कैदियों की मौत हुई, जिनमें से 21 मौतें अप्राकृतिक रहीं। नौ कैदियों ने आत्महत्या कर ली, एक का साथी कैदी ने कत्ल कर दिया, तीन कैदियों की मौत जेल के बाहर से हुए हमले में हो गई जबकि 8 कैदी अन्य कारणों से बेमौत मारे गए।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मामलों में पंजाब दूसरे नंबर पर रहा, जहां जेलों में कुल 178 कैदियों की मौत हुई। इनमें से 173 मौते स्वाभाविक रहीं जबकि चार कैदियों ने आत्महत्या कर ली और एक कैदी जेल के बाहर से हुए हमले में मारा गया।