डोर टू डोर गारबेज कलेक्टरों की हड़ताल और खुद से व्यवस्था न संभलने के बाद सोमवार को नगर निगम बैकफुट पर आ गया। सुबह लेकर शाम छह बजे तक गारबेज कलेक्टरों के साथ हुई बैठक के बाद लिखित में समझौता हो गया। इसके बाद मेयर ने वित्त एवं अनुबंध कमेटी की आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें गारबेज कलेक्टरों के साथ हुई समझौते की शर्तों को पास कर दिया गया। इसके बाद मेयर शाम 7.30 बजे मेयर खुद डंपिंग ग्राउंड पहुंचे और गारबेज कलेक्टरों को जूस पिलाकर 20 दिन से चल रही हड़ताल तुड़वाई।
अब मंगलवार से निगम अपनी ट्रालियां वापस ले लेगा और गारबेज कलेक्टर पहले की तरह वापस काम पर लौट आएंगे। बता दें कि नगर निगम द्वारा अधूरी तैयारी के साथ कचरा इकट्ठा करने की नई व्यवस्था के कारण शहरवासियों की भारी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। पूरे शहर में कचरे के ढेर लग गए थे। ऐसे में सोमवार को नगर निगम ने डोर टु डोर गारबेज कलेक्शन सोसाइटी के साथ समझौता कर लिया। समझौते के दौरान नगर निगम के कार्यवाहक कमिश्नर संजय झा भी शामिल रहे। समझौते की शर्तों के तहत अब मंगलवार से पहले की तरह गारबेज कलेक्टर अपने-अपने एरिया में लोगों के घर-पर कचरा लेने के लिए जाएंगे।
लिखित में हुए समझौते के अनुसार कलेक्टरों को तीन माह का समय दिया गया है। तीन माह बाद कलेक्टर नगर निगम की व्यवस्था में शामिल होंगे, तब तक कलेक्टर खुद ही सूखा और गीला कचरा लोगों के घरों से इकट्ठा करेंगे। यह भी समझौता हुआ है कि तीन माह बाद जनवरी-2019 में जब नगर निगम खुद कचरा इकट्ठा करने का अभियान शुरू करेगा तब कचरे से जो रीसाइकिल वेस्ट निकलेगा, उससे होने वाली कमाई कलेक्टरों को बांटी जाएगी। हालांकि इसका अंतिम निर्णय सदन की बैठक में ही होगा। मालूम हो कि 7 सितंबर से गारबेज कलेक्टर हड़ताल पर थे।
जनवरी में तो मेयर ही बदल मेयर, निगम को आएगी मुश्किल
सूत्रों का कहना है कि गारबेज कलेक्टरों की हड़ताल और नगर निगम द्वारा पूरे शहर से कचरा न उठाने का दबाव मेयर देवेश मोदगिल पर भी लगातार बन रहा था इसलिए मेयर भी कलेक्टरों के साथ समझौता करने को तैयार हो गए। समझौते के अनुसार नगर निगम नई व्यवस्था जनवरी माह में लागू करेगा लेकिन हकीकत यह है कि 8 जनवरी को मेयर देवेश मोदगिल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। नए साल में मेयर की कुर्सी आरक्षित वर्ग के पार्षद के लिए रिजर्व है और आरक्षित वर्ग के पार्षद डोर टु डोर गारबेज कलेक्टरों के समर्थन में हैं। ऐसे में उस समय भी नगर निगम को खुद सूखा और गीला कचरा इकट्ठा करने का सिस्टम लागू करने में काफी मुश्किल का सामना करना पडे़गा।
हड़ताल खत्म कराने पर भी घमासान
नगर निगम से समझौता और गारबेज कलेक्टरों की हड़ताल समाप्त होने के बाद अब पार्षद और नेता क्रेडिट लेने में जुट गए हैं। बता दें कि सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन के नेतृत्व में गारेबज कलेक्टर मेयर देवेश मोदगिल से मिले। इसके बाद समझौते की कार्रवाई शुरू हो गई। मनोनीत पार्षद सचिन लोहटिया ने समझौते का लिखित पत्र भी तैयार कर लिया लेकिन भाजपा पार्षद राजेश कालिया को जब फोन किया गया तो उन्होंने समझौता करने से इंकार कर दिया।
इस दौरान नगर निगम मेयर के साथ बैठक में सचिन लोहटिया के अलावा भाजपा पार्षद सतीश कैंथ, सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष कृष्ण चड्ढा, पूर्व अध्यक्ष श्याम लाल घावरी, ओमपाल चांवर, सेनिटेंश्न कमेटी के चेयरमैन महेश इंद्र सिद्धू भी उपस्थित थे। कालिया गुट को लगा कि समझौते का क्रेडिट कहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन न ले लें। कालिया इसके बाद डंपिंग ग्राउंड पहुंच गए और कलेक्टरों से बातचीत की। इसके बाद उन्हें दोबारा फोन कर समझौते के लिए कहा गया। इसके बाद शाम को कालिया गारबेज कलेक्टरों के नेताओं के साथ निगम पहुंचे।
इसके बाद लिखित समझौता हुआ। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि कलेक्टरों ने दो अक्तूबर से दोबारा घर-घर जाकर कूड़ा उठाने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में निगम को इस बात का डर था कि मामला लोग निगम को कचरा न देकर कलेक्टरों को दे देंगे। इसलिए भी यह समझौता किया गया।
इसके बाद लिखित समझौता हुआ। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि कलेक्टरों ने दो अक्तूबर से दोबारा घर-घर जाकर कूड़ा उठाने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में निगम को इस बात का डर था कि मामला लोग निगम को कचरा न देकर कलेक्टरों को दे देंगे। इसलिए भी यह समझौता किया गया।
साल 2012 में भी निगम आ गया था बैकफुट पर
इससे पहले साल 2012 में भी नगर निगम बैकफुट पर आ चुका है। उस समय भी सूखा और गीला कचरा इकट्ठा करने का नगर निगम ने पायलट प्रोजेक्ट सेक्टर-22 से शुरू किया था लेकिन उस समय भी राजनीति और कलेक्टरों के प्रदर्शन के आगे नगर निगम को बैकफुट पर आना पड़ा था।
सूखा-गीला कचरा अलग नहीं करने पर दो दिसंबर के बाद होंगे चालान
वित्त एवं अनुबंध कमेटी की बुलाई गई आपातकाली बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि दो दिसंबर से पहले तक लोगों को खुद ही सूखा और गीला कचरा इकट्ठा करने के लिए समय दिया जाएगा। दो दिसंबर से ऐसा न करने वाले रेजिडेंट्स पर जुर्माना चार्ज किया जाएगा। इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि अभी कलेक्टर पुराने वाले रेट ही लोगों से चार्ज करेंगे। यह रेट नए माडल के लागू न होने तक जारी रहेंगे।
मंगलवार से नगर निगम की ट्रालियां नहीं बल्कि गारबेज कलेक्टर पहले की तरह घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करेंगे। समझौते में यह तय हुआ है कि अगला कोई भी फैसला नगर निगम गारबेज कलेक्टरों को बिना विश्वास में लिए नहीं करेगा।
– ओम प्रकाश सैनी, चेयरमैन, डोर टु डोर गारबेज कलेक्शन सोसाइटी
गारबेज कलेक्टर मंगलवार से पहले की तरह घरों से इकट्ठा करेंगे। साथ ही लोगों को सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए जागरूक भी करेंगे। यह अस्थायी व्यवस्था है जब तक नगर निगम अपना सिस्टम पूरी तरह से मजबूत नहीं कर लेता तब तक कलेक्टर पहले की तरह काम करते रहेंगे। उसके बाद कलेक्टर नगर निगम की व्यवस्था के तहत कचरा इकट्ठा करवाने में नगर निगम की मदद करेंगे।
– संजय झा, कार्यवाहक निगम कमिश्नर
डोर टु डोर गारबेज कलेक्टर नगर निगम की सदन की बैठक 14 सितंबर से पहले ही हड़ताल पर बैठ गए थे। ऐसे में शहर में कचरे की समस्या बढ़ रही थी तो नगर निगम को ट्रालियां लगानी पड़ी थीं। ऐसे में नगर निगम को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पालिसी के तहत ही व्यवस्था को लागू करना था। दिसंबर तक नगर निगम व्यवस्था को लागू करने के लिए सिस्टम बना लेगा, तब तक कलेक्टर ही काम करेंगे। 15 दिसंबर तक नगर निगम अपना बंदोबस्त कर लेगा।
– देवेश मोदगिल, मेयर
मेयर को तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा नगर निगम नहीं चला पा रही है। वह इस मुद्दे पर 10 बार मेयर से मिले और पुरानी व्यवस्था को लागू रहने देने की बात कही, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़े रहे और जब शहर में पिछले 15 दिन से कचरा और गंदगी भर गई तो अब उन्हें कलेक्टरों के सामने झुकना पड़ा।
– देवेंद्र सिंह बबला, कांग्रेस पार्षद दल के नेता