बढ़ा हुआ टैरिफ, फ्यूल एंड पॉवर पर्चेज कॉस्ट एडजस्टमैंट (एफ.पी.पी.सी.ए.) और सरचार्ज की वजह से आ रही भारी-भरकम बिजली के बिल से शहर के लोगों को निजात तो नहीं मिल पाई लेकिन सही समय पर पैमेंट न करने वालों से ही यू.टी. के इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट ने करोड़ों रुपए की कमाई कर ली। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान डिपार्टमैंट ने लगभग 11 करोड़ रुपए केवल डीले पैमेंट चार्ज से ही वसूल कर लिए।
बढ़ा हुआ टैरिफ, फ्यूल एंड पॉवर पर्चेज कॉस्ट एडजस्टमैंट (एफ.पी.पी.सी.ए.) और सरचार्ज की वजह से आ रही भारी-भरकम बिजली के बिल से शहर के लोगों को निजात तो नहीं मिल पाई लेकिन सही समय पर पैमेंट न करने वालों से ही यू.टी. के इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैंट ने करोड़ों रुपए की कमाई कर ली। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान डिपार्टमैंट ने लगभग 11 करोड़ रुपए केवल डीले पैमेंट चार्ज से ही वसूल कर लिए।
ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलैट्री कमीशन (जे.ई.आर.सी.) की ओर से इस बारे में बिजली विभाग से जानकारी मांगी गई थी। इसकी रिपोर्ट विभाग की ओर से सब्मिट करवाई गई है। हालांकि विभाग का कहना है कि फिर भी इस समय करोड़ों रुपए का घाटा उठाया जा रहा है। हालांकि कमिशन ने इस घाटे से बचने के लिए कुछ ऑप्शन तो दिए हैं लेकिन फिर भी रैवेन्यू गैप की भरपाई नहीं हो पा रही है।
कंज्यूमर्स की ओर से कई बार शिकायत दी जा चुकी है कि बिजली के बिल का फॉर्मेट बदला जाना चाहिए। बिजली के बिल को पानी और सीवरेज के बिल में मिक्स न किया जाए। हालांकि विभाग का कहना है कि नाइलिट को नए बिजली के बिल का फॉर्मेट भेज दिया गया है लेकिन कमीशन ने निर्देश दिए हैं कि बिजली के बिल के फॉर्मेट को इस तरह तैयार किया जाए जिससे कंज्यूमर्स को कोई परेशानी न हो।
हर कैटेगरी की डिटेल करो मैंटेन
कमीशन की ओर से विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि हरेक कंज्यूमर कैटेगरी की मंथली सेल्स डिटेल को पूरी तरह मैंटेन किया जाए। इसके साथ ही भविष्य की टैरिफ पटीशन में भी इसका जिक्र होना चाहिए। दरअसल पिछले वर्षों की टैरिफ पटीशन में जो डिमांड भेजी जाती थी उसमें लगभग 8 से 10 प्रतिशत का अंतर आता था। यही वजह है कि कमीशन ने इस मामले में विभाग को गंभीरता से काम करने की नसीहत दी है।