तीन दिन पूछती रहीं, मेरा मूंह तां नईं खराब होया

तीन दिन पूछती रहीं, मेरा मूंह तां नईं खराब होया

तीन दिन पूछती रहीं, मेरा मूंह तां नईं खराब होया

10 जनवरी 2010 का दिन, मैं गांव से बस में बैठकर सुबह सवा आठ बजे अस्पताल पहुंची और गेट के अंदर कदम रखा, तभी एक बाइक पर सवार तीन युवक दौड़ते हुए अस्पताल की तरफ लपके। मैं समझी कोई इमरजेंसी है, इसलिए भागे जा रहे हैँ। मुझे क्या पता था कि तीनों युवक मेरी ही ओर आ रहे हैं।
पास आते ही उन्होंने एसिड (तेजाब) से भरी बोतल मेरे चेहरे और शरीर पर उड़ेली और भाग गए। इस तरह दो-तीन मिनट में ही मेरी पूरी जिंदगी बदल गई’। यह वाकिया दोहराते हुए जिला कपूरथला के सब डिवीजन भुलत्थ के गांव टांडी की दलजीत कौर सिहर उठतीं हैं। उस मनहूस घड़ी को याद करते हुए दलजीत कौर बोली कि उस पर किसी दूसरी लड़की के भुलेखे में एसिड अटैक किया गया। इस बात का पता भी उसे डेढ़ साल बाद लगा कि गांव इब्राहीमवाल की एक लड़की के भुलेखे में उस पर एसिड डाला गया है।

तीन दिन पूछती रहीं, मेरा मूंह तां नईं खराब होया
घटना के बाद तुरंत उसे अपैक्स अस्पताल ले जाया गया। एसिड अटैक होते ही चेहरे और शरीर पर जलन शुरू हो गई थी। जेहन में भविष्य, माता-पिता और अपने चेहरे के बारे में ही सोचती रही कि अब क्या होगा। मेरे ऊपर एसिड क्यों डाला गया, मेरी तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं? तीन दिन तक माता-पिता से पूछती रहीं कि मेरा मुंह तां नईं खराब होया, मैंने इत्थे क्यों रखेया होया ए, घर लैके जाओ, मेरा चेहरा तां सही है न। लेकिन मेरी हालत देखकर उनकी आंखों से केवल आंसू ही निकलते रहे।
शादी पर बोली, दया का पात्र नहीं बनना चाहती

Kapurthala acid attack
आठ-नौ सर्जरियां हुईं, अभी भी इलाज जारी
दलजीत बताती हैं कि इस अटैक के बाद उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जिस नडाला के अपैक्स अस्पताल में बतौर रिसेप्शनिस्ट 3500 मासिक वेतन पर काम करते हुए उसे दो माह हुए थे, उसी अस्पताल में उसका इलाज हुआ। उसके बाद तो एक के बाद एक आठ-नौ सर्जरी हुईं।

अभी भी कई सर्जरी होनी हैं। इस पर 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। साढ़े चार मरले का प्लाट बिक गया। जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी की ओर से 3.5 लाख रुपये की एक पालिसी की गई है। इलाज पर खर्च होने वाली रकम के तौर पर चार लाख रुपये मिले हैं। अभी भी इलाज चल रहा है। जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी ने उसकी बहुत मदद की।

शादी पर बोली, दया का पात्र नहीं बनना चाहती
दलजीत कौर का चेहरा अब काफी हद तक ठीक हो चुका है। करीब साढ़े सात पहले की घटना से वह काफी उभर चुकी हैं। अब वह किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती हैं और नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करना चाहती हैं। दलजीत कहती हैं कि अभी तक तो उन्हें कोई विवाह का ऑफर नहीं आया है। अगर आता भी तो वह स्वीकार नहीं करेगी। क्योंकि जिस समय उस पर अटैक हुआ, तब उसकी उम्र 19 साल थी। एसिट अटैक के बाद वह दया का पात्र नहीं बनना चाहती है। क्योंकि बाद में उसे ताने न सुनने पड़े। लेकिन कोई उसकी (दलजीत) सोच से मैच करने वाला जीवनसाथी मिलता है तो वह उसे सहर्ष स्वीकार कर लेंगी।
एक साल पहले मांगी इच्छा मृत्यु, अब जीने का जज्बा

एक साल पहले मांगी इच्छा मृत्यु, अब जीने का जज्बा
छह साल तक जिले के आला अधिकारियों की चौखट पर न्याय की गुहार लगाकर थक चुकी दलजीत जब अंदर से भी टूट गई तो उसने अप्रैल 2016 में महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पूरी व्यथा सुनाते हुए इच्छामृत्यु की मांग की। इसकी एक प्रति हाईकोर्ट में भी जमा करवा दी।

क्योंकि मई 2011 में तीनों आरोपियों सरबजोत सिंह, जगजीवन सिंह और जसप्रीत सिंह निवासी खानपुर को अदालत ने सात-सात माह की सजा सुनाई। फिर वे जमानत पर बाहर आ गए और सरबजोत सिंह तो विदेश चला गया। जबकि जगजीवन और जसप्रीत खुलेआम घूम रहे थे। इसके बाद अदालत ने तुरंत उन्हें दस-दस साल की सजा सुनाई तो दलजीत का मन बदल गया। अब वह जॉब पाकर खुद के पैरों पर खड़ा होना चाहती है।

चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है दलजीत
दलजीत कौर घर में सबसे बड़ी हैं। पिता मलकीत सिंह पूर्व एसजीपीसी अध्यक्ष व पूर्व विधायक बीबी जागीर कौर के डेरे संत प्रेम सिंह मुराले वाले में ग्रंथी हैं और माता सतवंत कौर गृहणी हैं। दलजीत की छोटी बहन पलविंदर कौर की कुछ अर्से पहले ही शादी हुई है और दो छोटे भाई गुरजीत सिंह और गुरप्रीत सिंह हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *