Adventures Trip Chandigarh

दो पहियों पर नाप लिए तीन देश

दो पहियों पर इन दिनों लद्दाख जाने का प्लान तो बनता दिखता है, मगर होली होली 100 ते ग्रुप ने इसे ज्यादा एडवेंचरस बनाने के लिए बॉर्डर क्रॉस करके दूसरे देशों में जाने की सोची। इसी तरह डिसाइड हुआ कि पहले नेपाल और फिर उसी रास्ते भूटान जाया जाएगा। इस सफर में सभी राइडर तो एक्सपीरियंस्ड रहे, मगर 19 वर्षीय गंधर्व जग्गी के लिए ये पहली लंबी राइड रही। मंगलवार को ग्रुप के सदस्यों प्रवीण जग्गी, गंधर्व जग्गी, दलजिंदर सिंह, कुलवंत सिंह और जसवंत सिंह जज से खास बातचीत हुई। ग्रुप के जरनल सेक्रेटरी प्रवीण जग्गी ने कहा कि वह अकसर चंडीगढ़ से लंबी ड्राइव करते रहते थे, मगर इन दिनों उन्होंने देशों को क्रॉस करने की सोची। इसके लिए नेपाल और भूटान जैसे देश चुने गए। मगर दिक्कत यही रही कि यहां अभी तक हम में से कोई भी बाइक ट्रिप पर नहीं गया था। ऐसे में बिना प्लानिंग हम चंडीगढ़ से नेपाल के लिए निकले। पहले दिन 17 जून को चंडीगढ़ से 520 किलोमीटर तक बाइक का सफर किया, जहां से नानकमाता गुरद्वारा पहुंचे और रात को वहीं रुके। इसके अगले दिन 530 किलोमीटर का सफर कर हम बुटवाल (नेपाल) पहुंचे। फिर पोखरा, काठमांडू, इतहारी, दार्जलिंग, फुएंटेशॉलिंग, थिंपू, पारो और फिर टाइगर नेस्ट ट्रकिंग में ट्रैकिंग की। यहां से वापिस चंडीगढ़ के लिए लौटे। हमें लगा कि सफर 5500 किलोमीटर का रहेगा, मगर ये 5300 किलोमीटर में सिमट गया। सिर्फ अंबाला तक ही गया था, ये अनुभव रोचक रहा

गंधर्व जग्गी पंजाब इंजीनिय¨रग कॉलेज से एरो स्पेस इंजीनिय¨रग कर रहे हैं। बोले कि 18 वर्ष का होने पर उन्हें बुलेट गिफ्ट में मिली थी। फिर उसपर चंडीगढ़ से अंबाला तक राइड की, साथ ही काजा तक पिलयन राइडर बनकर गया। मगर जब तीन देशों के बाइक के सफर पर पापा से पता चला तो फिर रुका नहीं गया और मैंने इसके लिए हां कर दी। मेरे लिए सबसे मुश्किल नेपाल से आगे का रास्ता रहा, जहां रोड़ बहुत खतरनाक थी। इसके अलावा पुरनिया से लखनऊ का 820 किलोमीटर की रास्ता एक ही दिन में पार करना मेरे लिए सबसे मुश्किल रहा। भूटान ने मन मोह लिया..

ग्रुप के वाइस प्रेसिडेट कुलवंत सिंह नेक कहा कि इस ट्रिप को पहले हमने केवल लद्दाख तक ही सीमित रखा था, मगर लद्दाख इन दिनों पूरा भर चुका है, ऐसे में हमने नेपाल और भूटान को चुना। इससे हमें अंतरराष्ट्रीय राइडर की पहचान भी मिलती। नेपाल से ज्यादा हमें भूटान खूबसूरत लगा। वहां से आने का मन नहीं किया, वहां सच में शांती और खुशी ही असली दौलत है।

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