दो बार दे चुकी है एनडीए को गच्चा
राष्ट्रपति भवन में ‘हिंदुत्व का रबर स्टैंप’ होना चाहिए। राष्ट्रपति पद के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लगातार आगे बढ़ा रही भाजपा की सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना ने शुक्रवार को यह बात कही। शिवसेना का कहना है कि आज ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बना सके और राम मंदिर तथा अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों का हल निकाल सके।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे एक संपादकीय के मुताबिक, ‘अभी तक धर्मनिरपेक्ष सरकारों के रबर स्टैंप ही राष्ट्रपति भवन में रहे हैं। अब राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे विषयों का समाधान निकालने के लिए जरूरी है कि राष्ट्रपति पद पर कोई हिंदुत्व का रबर स्टैंप बैठे।’ शिवसेना ने कई बार कहा है कि देश के सर्वोच्च पद के लिए संघ प्रमुख भागवत उसकी पसंद हैं। हालांकि 66 साल के भागवत कह चुके हैं कि उन्हें राष्ट्रपति पद में कोई रुचि नहीं है।
अगर जरूरत पड़ी तो 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होंगे। इनमें भाजपा को अपनी सहयोगी शिवसेना से 18 सांसदों और 63 विधायकों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। संपादकीय में लिखा है कि गणना के अनुसार, राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के 23 घटक दलों के पास 48 प्रतिशत वोट हैं, जबकि यूपीए के 17 घटक दलों के 26 प्रतिशत वोट हैं।
दो बार दे चुकी है एनडीए को गच्चा
पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा से अलग रास्ता अपनाती रही शिवसेना ने गुरुवार को कहा था कि वह राष्ट्रपति चुनाव में ‘स्वतंत्र’ रुख अपना सकती है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। 2012 में हुए चुनावों में भाजपा ने पीए संगमा का समर्थन किया था। साल 2007 में शिवसेना ने एनडीए के उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत के बजाय यूपीए की महाराष्ट्र की प्रतिभा पाटिल को वोट दिया था।
फिर की प्रणब मुखर्जी की तारीफ
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि उनके और डा. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे लोगों ने इस पद की गरिमा को बनाए रखा है। संपादकीय के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी कांग्रेसी विचारधारा से हैं लेकिन वह सक्षम और मजबूत राष्ट्रपति रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में उनका व्यापक अनुभव देश के लिए बहुत लाभकारी साबित हुआ है।
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