नशे पर नहीं कसा शिकंजा
पंजाब मेें कांग्रेस सरकार के 100 दिन शुक्रवार को पूरे हो रहे हैं। इस सेंचुरी के दौरान सरकार ने बजट से पहले और बाद में कई घोषणाएं कर हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की। इन घोषणाओं में अधिकतर उनके चुनावी वादे थे। हालांकि अभी भी कुछ वादे पूरे होने की राह देख रहे हैं। दूसरी ओर ये सैकड़ा बेदाग नहीं रहा। कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत के गिरेबां पर उड़ी रेत ने सरकार के चेहरे की भी रंगत उड़ा दी।
कांग्रेस ने चुनाव में कर्जा-कुर्की खत्म, फसल की पूरी रकम का नारा दिया था। गेहूं की खरीद सफलतापूर्वक रही, कुर्की खत्म हो गई, दो लाख तक के कर्ज का एलान भी सीएम ने कर दिया। हालांकि अगले ही दिन बजट में इसके लिए सिर्फ 1500 करोड़ रुपये रखकर सरकार विवादों में घिर गई। इस पर सीएम और वित्तमंत्री ने सफाई दी कि यह पहली किस्त है, किसानों का सारा कर्ज सरकार अपने सिर लेगी।
दूसरा बड़ा वादा इंडस्ट्री को पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली भी सीएम ने पूरा किया। लेकिन नई औद्योगिक नीति अब तक तैयार नहीं हो सकी है। बजट में भी मौजूदा इंडस्ट्री को कुछ खास नहीं दिया गया है। वादे के मुताबिक, कांग्रेस ने सत्ता में आते ही लाल बत्ती हटाकर वीआईपी कल्चर को खत्म किया। बाद में यूपी और केंद्र सरकार ने इसे अपनाया। वादा यह भी था कि सीएम भी फिलहाल कुछ माह तक हेलिकॉप्टर का प्रयोग नहीं करेंगे, लेकिन सीएम के साथ-साथ मंत्री भी हेलिकॉप्टर में यात्रा करते दिखे।
रोजगार का रोडमैप नहीं
नशे पर नहीं कसा शिकंजा
सूबे से नशे के खात्मे के लिए कैप्टन ने कसम खाई थी। सरकार का दावा है कि एसटीएफ ने नशे के कारोबार पर लगाम कसने में सफलता हासिल की है। लेकिन अब तक एसटीएफ इस कारोबार के किसी सरगना को पकड़ने में असफल ही रही है। नशा कारोबारियों की प्रॉपर्टी जब्त करने के लिए कानून भी नहीं बन सका।
रोजगार का रोडमैप नहीं
हर घर से एक नौजवान को नौकरी का वादा अभी अधर में है। सरकार ने युवाओं को टैक्सी, ट्रैक्टर आदि देने का एलान किया है, लेकिन कोई रोडमैप नहीं है। बजट में स्मार्ट फोन के वादे पर कदम बढ़ाते हुए रकम का प्रावधान किया गया है। कानून-व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी गैंगस्टर सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। पिछली सरकार के दौरान हुई बड़ी वारदातों का भी अब तक कोई सुराग नहीं निकल सका है।
राणा के दामन पर रेत के छींटे
ट्रांसपोर्ट माफिया सरकार बदलने के बाद भी चलता रहा। पिछले दिनों सीएम ने विजिलेंस को निर्देश दिए तो अवैध बसें पकड़ी गईं। माइनिंग माफिया खत्म करने के लिए इस बार रेत खदानों की ई-ऑक्शन की गई, लेकिन इसमें कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत के दामन पर बेनामी बोली के छींटे पड़ गए। करोड़ों की बोली देकर खदानें लेने वाले चार लोग राणा के पूर्व मुलाजिम निकले। विवाद बढ़ने पर सीएम को एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित करना पड़ा, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।