पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ना अब आसान नहीं, 11 गुना तक फीस में बढ़ौतरी
पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ना अब आसान नहीं होगा। रविवार को हुई सीनेट की मीटिंग में 5 से 11 प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगा दी गई। नए सत्र से ही फीस बढ़ोतरी लागू हो जाएगी। पारंपरिक कोर्स बीए में 2500 की जगह अब 10 हजार रुपये फीस अदा करनी होगी। प्रोफेशनल कोर्सेज में तो इससे भी ज्यादा मार पड़ेगी। प्रोफेशनल कोर्स बीई में 7200 की जगह अब 90 हजार रुपये फीस देनी होगी। पंजाब यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह पहली बार इतनी बड़े स्तर पर फीस वृद्धि है। पीयू का यह फैसला मध्यम वर्ग पर जबरदस्त चोट करने वाला है। सिंडीकेट इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुकी थी। रविवार को सीनेट ने भी इसे पास कर दिया।
फीस बढ़ोतरी का ज्यादा प्रभाव प्रोफेशनल कोर्सेज पर पड़ेगा। पीयू से प्रोफेशनल कोर्स करना अब किसी प्राइवेट संस्थान से भी मंहगा हो गया है। श्रेणी के हिसाब से कोर्सेज की फीस बढ़ाई गई है। ट्रेडिशनल और प्रोफेशनल दो तरह की श्रेणी में कोर्सेज को रखकर फीस बढ़ाई गई है। ट्रेडिशनल कोर्सेज में 5 गुना तो प्रोफेशनल में 10 से 11 गुना तक फीस बढ़ाई गई है। बीए, एमए, एमएड और एमएससी जैसे पारंपरिक कोर्सेज में फीस करीब पांच गुना बढ़ाई गई है।
वित्तीय संकट से जूझ रही पीयू की माली हालत सुधारने के लिए फीस बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है। फंड नहीं होने से पीयू स्टाफ की सैलरी तक पिछले महीने रुक गई थी। यह फीस बढ़ोतरी पीयू कैंपस और इसके सभी रीजनल सेंटर्स में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स पर लागू होगी।
244 करोड़ घाटे का बजट पास
बोर्ड ऑफ फाइनेंस की मंजूरी के बाद रविवार को सीनेट में बजट प्रस्ताव रखा गया। सत्र 2017-18 के लिए 515 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया। 244 करोड़ रुपये के घाटे के साथ यह बजट पास किया गया। इसमें पीयू की आय महज 271 करोड़ रुपये दिखाई गई है। बजट घाटे पर सीनेट में जमकर बहस भी हुई। सीनेट के सदस्यों ने पीयू की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। ज्यादातर सीनेटरों ने कहा कि पंजाब से ज्यादा ग्रांट लेने के लिए सीएम से मुलाकात करनी चाहिए। केंद्र सरकार से भी बातचीत करनी चाहिए। वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने भी इस पर सहमति दी। इन दोनों कामों के लिए प्रस्तावित कमेटी में सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग भी हुई। कुछ सीनेट सदस्यों ने पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की दिशा में काम करने की सलाह दी। कई सदस्यों ने इसको हेरिटेज व राष्ट्रीय महत्व का मुख्य संस्थान बताते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाए जाने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर केंद्र सरकार अपनी मनमानी यूनिवर्सिटी पर थोप सकती है।