इन मरीजों में लगने वाली इंसुलिन पर टैक्स कम हो जाएगा
जीएसटी लागू होने से डायबिटीज के मरीजों को राहत मिल सकती है। खासकर टाइप वन डायबिटीज के मरीजों को। इन मरीजों में लगने वाली इंसुलिन पर टैक्स कम हो जाएगा। पहले करीब 12 प्रतिशत तक टैक्स लगता था। इसमें पांच प्रतिशत वैट ओर छह प्रतिशत एक्साइज। जीएसटी काउंसिल ने अब इंसुलिन पर पांच प्रतिशत टैक्स निर्धारित किया है। इसके मुताबिक हर इंसुलिन पर करीब 15-20 रुपये का फायदा होगा। जो मरीजों के लिए काफी राहत वाली बात होगी।
पीजीआई के इंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॅा. संजय बडाडा ने कहा कि हर टाइप वन मरीज को इंसुलिन लगती है। पीजीआई में टाइप वन डायबिटीज के करीब एक हजार मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें अधिकतर बच्चे हैं। कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके पेरेंट्स इंसुलिन का बोझ नहीं उठा पाते। इस फैसले उन्हें जरूर फायदा होगा।
जीएसटी एक्सपर्ट केशव गर्ग ने बताया कि पहले इंसुलिन पर दो तरह के टैक्स लगते थे, लेकिन जीएसटी के बाद एक ही टैक्स लगेगा। सिर्फ पांच प्रतिशत। इससे इंसुलिन के रेट में कमी भी आएगी। ग्लोबल हेल्थ केयर व डायबिटिक फुट एक्सपर्ट डा. संजीव भाटिया का कहना है कि टाइप वन अलावा कुछ टाइप टू मरीजों में भी इंसुलिन लगती है। इंसुलिन के रेट कम होने से दोनों मरीजों को फायदा होने वाला है।
देश में डायबिटीज के मरीज सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में
डायबिटीज, हेल्थPC: फाइल फोटो
देश में डायबिटीज के मरीज सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में
अभी हाल में आई एक स्टडी बताती है कि चंडीगढ़ में डायबिटीज के पेशेंट पूरे देश में ज्यादा हैं। करीब 14 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इतने ही तादाद में लोग प्री-डायबिटिक से पीड़ित हैं। पांच साल बाद मरीजों की संख्या दो गुनी हो सकती है। स्टडी में 15 राज्यों को शामिल किया गया था।
एमआरपी कम होगी तभी फायदा
सेक्टर 24 स्थित दवा के होलसेलर गुप्ता एजेंसी के अंकुर गुप्ता ने बताया कि जीएसटी लगाने के बाद यदि एमआरपी कम होती है तो तभी जीएसटी का फायदा होगा। अभी काफी कंफ्यूजन है। जहां तक मुझे जानकारी है, अब भी इंसुलिन पर पांच प्रतिशत टैक्स है। इसलिए जीएसटी लागू होने के बाद कुछ साफ हो पाएगा। यदि एमआरपी कम होती है तो तभी मरीजों को फायदा होगा।