पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीति बेकार
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीति बेकार थी। चीन भारत का भाई नहीं, बल्कि महज पड़ोसी है। अगर हमें पाकिस्तान को कई टुकड़ों में बांटकर तोड़ना है तो चीन का न्यूट्रल होना बेहद जरूरी है। इसके लिए हमें बेहतर नीतियों पर चलना होगा। यह बात भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने आईआईएम के छात्रों से गवर्नेंस में मैनेजमेंट पहलू विषय पर हुई चर्चा के दौरान कही। उन्होंने रविवार को एमडीयू के टैगोर ऑडिटोरियम में मैनेजमेंट के छात्रों से खुलकर चर्चा की। समारोह की शुरुआत आईआईएम रोहतक के डायरेक्टर प्रो. धीरज शर्मा ने की।
मुख्यातिथि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि प्रगति के लिए मौजूद समग्र साधन एकत्रित करना ही गवर्नेंस है और मैनेजमेंट इस कार्य में मददगार साबित होता है। मैनेजमेंट का मुख्य पहलू जोखिम उठाना होता है जोकि भारत के नागरिकों में पश्चिमी देशों से कम है। चीन और भारत के मध्य चल रहे विवाद पर डॉ. स्वामी ने कहा कि भारत के लिए चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना आवश्यक है।
चीन का बाजार अन्य देशों के भरोसे है। वह पूर्वी एशिया से सामान लेकर खुद ठप्पा लगाता है। हमें उन देशों को आकर्षित करना होगा। भारत की शैक्षणिक पद्धति पर कटाक्ष करते हुए डॉ. स्वामी ने कहा कि भारत में प्रदान किए जा रहे शिक्षण में बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी वही मैकाले के समय की पुरानी नीति रही है। हम किताबों में मुगल सल्तनत के बारे में तो पूरा अध्याय पढ़ाते हैं। वहीं, शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे भारतीय योद्धाओं के बारे में बहुत कम शब्दों में बताते हैं। हमें तकनीकी ज्ञान के साथ छात्रों को भावनात्मक ज्ञान भी प्रदान करना चाहिए। मैनेजमेंट के छात्रों के लिए यह भावनात्मक ज्ञान अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय वोटर को पढ़े-लिखे अच्छे नेताओं को चुनने की समझ होनी चाहिए। वैसे पढ़े लिखे तो चिदंबरम और जयराम रमेश भी हैं, मगर काबिल नहीं हैं।
फैशन वाले नेताओं पर ली चुटकी
सांसद स्वामी ने कहा कि अगर मैनेजमेंट का छात्र विदेश जा रहा है तो वह किसी भी परिधान में चला जाए। अगर कोई नेता विदेश जाता है तो उसे कुर्ता पाजामा पहनकर ही जाना चाहिए, नहीं तो वह वेटर के समान दिखाई पड़ेगा।
जीएसटी और नोटबंदी पर पूर्णतया संतुष्ट नहीं
डॉ. स्वामी ने जीएसटी के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर कहा कि मैं इसके हक में हूं मगर फिर भी इसमें कुछ दिक्कतें हैं। भारत में काम कर रही 44 लाख कंपनियों का प्रोडक्ट कहां बन रहा है और कहां बिक रहा है? इसका पूरा ब्योरा होना चाहिए। इसी के साथ नोटबंदी पर कहा कि इसकी तैयारियों में कमी रही थी। हालांकि जनता से इसका अच्छा रिस्पांस मिला। इसके बावजूद काले धन पर रोक नहीं लग सकी।