फास्टवे पर 20 हजार करोड़ की टैक्स चोरी
सत्ता में आने के बाद से फास्टवे के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले निकायमंत्री नवजोत सिद्धू ने अब कार्रवाई की बॉल सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के पाले में डाल दी है। सिद्धू ने कहा कि सीएम उन्हें एक्साइज विभाग के जरिए पिछले सात साल में हुई टैक्स चोरी का ऑडिट करने की इजाजत दें। या फिर अब जीएसटी के बाद मनोरंजन कर स्थानीय निकाय के दायरे में आ गया है, तो वह भी ऑर्डिनेंस ला सकते हैं। सिद्धू ने सात साल में फास्टवे पर बीस हजार करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया।
पंजाब भवन में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सिद्धू ने कहा कि वह इस मामले को निर्णायक अंत तक पहुंचाएंगे। उनके साथ मौजूद सुप्रीम कोर्ट के वकील और केबल व ब्रॉडकास्टिंग मामलों केमाहिर विनीत भगत ने कहा कि 1995 में एक केबल कनेक्शन पर पचास रुपये एंटरटेनमेंट टैक्स लगता था। 2010 में सरकार ने एक प्रोपराइटर पर 15 हजार रुपये प्रति वर्ष टैक्स लगा दिया, चाहे उसकेपास जितने भी कनेक्शन क्यों न हों। हालांकि, वसूल यह भी नहीं किया गया।
जबकि, उसी दौरान डीटीएच पर दस प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया। भगत ने बताया कि कम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 42 लाख सेट टॉप बॉक्स थे, जिनमें से 40 लाख फास्टवे के थे। इन पर टैक्स जोड़ा जाए तो 1440 करोड़ बनता है, गहराई से जांच करने पर आंकड़ा बीस हजार करोड़ तक पहुंच सकता है। अब ये 80 लाख कनेक्शन होंगे, जिनमें से 95 फीसदी फास्टवे के हैं। एकाधिकार केचलते फास्टवे यहां एक ऑपरेटर से 130 रुपये लेता है। जबकि, यूपी में साठ रुपये राजस्थान में 70 रुपये लिए जाते हैं। ट्राई के मुताबिक भी पंजाब में 24 लाख कनेक्शन हैं, जिनमें से 22 लाख फास्टवे केपास है।