स्कूलों में पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब की मुहिम के तहत अब अगर बच्चों के परीक्षाओं में नंबर कम मिले तो अध्यापक को स्पष्टीकरण लिखित देना होगा कि कमी कहां रही। पिछली परीक्षाओं में कम नंबर जिन-दिन विषयों पर मिले हैं, उन विषयों को पढ़ाने वाले अध्यापक अब सवालों के घेरे में है।
पंजाब एजूकेशन बोर्ड ने इन शिक्षकों से जवाब मांगा है कि आखिर उनके पढ़ाए विषयों में बच्चे इतने कमजोर क्यों हैं। खास कर पंजाबी विषय में। डीईओ एलीमेंट्री शिशुपाल कौशल पिछले कुछ दिनों से स्कूलों की चेकिंग कर रहे हैं। बच्चों से किताबों में पढ़े सवालों का जवाब पूछते हैं। स्कूलों में मार्निंग असेंबली कैसे होती है, इसका जायजा भी ले रहे हैं। बच्चों को मिड -डे मिल में कैसा खाना मिल रहा है, स्कूल में किन-किन चीजों की कमी है।
बच्चों की गिनती सरकारी स्कूलों में बढ़ी है या घटी है, इस पर विशेष रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। डीईओ स्कूलों में अध्यापकों की हाजिरी चेक करने के लिए सुबह नौ बजे ही अकेले ही स्कूल पहुंच जाते हैं। बिना किसी को पहचान बताए अध्यापकों को स्कूल के भीतर जाने का समय नोट करते हैं। सुबह नौ बजे से 11 बजे तक किसी भी स्कूल में वह पहुंच जाते हैं, अब तक छह स्कूलों के स्टाफ को वो चेतावनी दे चुके हैं।
पंजाबी में अमृतसर नहीं लिख पाते बच्चे
सरकारी स्कूलों में पंजाबी भाषा का तिरस्कार इस कदर हो रहा है कि आप जानकर दंग रह जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पांचवी क्लास के बच्चे पंजाबी में अमृतसर नहीं लिख पाए। अंग्रेजी में इंडिया की स्पेलिंग नहीं बता पाए। अधिकांश बच्चों को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम की जानकारी नहीं है।