बुधवार को हरियाणा के चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती
पंजाब के 19 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध करार देने के बाद अब हाईकोर्ट ने हरियाणा के चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को भी गलत मानते हुए इसे रद्द करने की आदेश दिए हैं। इस दौरान हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट से अपील की कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने के लिए कुछ समय दिया जाए। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की अपील को मानते हुए अपने फैसले को तीन हफ्ते बाद से प्रभाव में लाने का आदेश दिया है।
बुधवार को हरियाणा के चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद ही महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार को बड़ा झटका दिया है। सरकार द्वारा 4 मुख्य संसदीय सचिवों की जो नियुक्तियां की गई थी उसे रद्द करने के जस्टिस एसएस सारों एवं जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने आदेश जारी किए। इन नियुक्तियों के खिलाफ एडवोकट जगमोहन सिंह भट्टी ने जनहित याचिका दायर की थी और इन नियुक्तियों को असैंविधानिक करार दिया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह माना और कहा कि यह नियुक्तियां असंवैधानिक और अवैध तरीकों से प्रावधानों का उलंघन करते हुए की गई हैं और इसी को आधार बना इन्हें खारिज किया जा रहा है। हाईकोर्ट द्वारा इन नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाते ही हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट से आग्रह किया की वो इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहते हैं लिहाजा इसके लिए उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया जाए। हाईकोर्ट ने सरकार को समय देते हुए अपने फैसले को लागू करने पर तीन सप्ताह की अंतरिम रोक लगा दी है लेकिन ये साफ़ कर दिया है कि, यह नियुक्तियां अवैध और असंवैधानिक हैं।
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए मांगा समय
बता दें कि हाईकोर्ट ने गत वर्ष 12 अगस्त को पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2012 में नियुक्त 19 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां भी इसी आधार पर रद्द कर कर दी थी। उस समय हरियाणा सरकार ने अपने चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों का बचाव करते हुए दलील दी थी कि उन्होंने एक प्रावधान के तहत ही यह नियुक्तियां की हैं। अब हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार सरकार की सभी दलीलें ख़ारिज करते हुए बुधवार को अपने अंतिम फैसले में श्याम सिंह राणा, बख्शीश सिंह विर्क, सीमा त्रिखा और डॉ. कमल गुप्ता की मुख्य संसदीय सचिव के पद पर की गई नियुक्ति को गलत करार दे दिया है।
पंजाब के मुख्य संसदीय सचिवों के मामले में गत वर्ष हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही हरियाणा के मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों पर तलवार लटक गई थी। लगभग एक वर्ष तक हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में इन चारों नियुक्तियों को सही करार देने के लिए सभी दलीलें दी लेकिन हाईकोर्ट की राय बदलने में यह दलीलें नाकाफी साबित हुई। फ़िलहाल इन चारों मुख्य संसदीय सचिवों को तीन सप्ताह की राहत मिल गई है क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश 3 सप्ताह बाद से प्रभावी होंगे।
इन चारों मुख्य संसदीय सचिवों को वर्तमान में दी जा रही सभी सुविधाएँ वापिस लेने के लिए भी अब याची हाईकोर्ट की शरण लेंगे। याचिकाकर्ता एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया लेकिन उन्होंने कहा कि चाहे हाई कोर्ट ने अपने ही फैसले पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगाकर जो थोड़ी रहत दी है उस दौरान सुविधाओं का लाभ सीपीएस को न मिले इसके लिए वे अर्जी दाखिल करेंगे। अर्जी के माध्यम से चारों मुख्य संसदीय सचिवों को इस पद पर दी जा रही सभी सुविधाएँ इनसे वापिस लिए जाने की मांग करेंगे क्योंकि चाहे हाई कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी है लेकिन इन नियुक्ति को रद्द भी कर दिया है ऐसे में इन्हे इस पद की कोई भी सुविधा नहीं दी जानी चाहिए।