चंडीगढ़ प्रशासन को इलैक्ट्रिक बस प्रोजैक्ट में मिनिस्ट्री का साथ नहीं मिल रहा है। मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक एंटरप्राइजेज की तरफ से 20 इलैक्ट्रिक बसों के लिए फंडिंग से मना करने के चलते ये प्रोजैक्ट लटकता नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने इस प्रोजैक्ट के लिए फंङ्क्षडग करने को लेकर मिनिस्ट्री को पत्र लिखा था, लेकिन मिनिस्ट्री ने कोई रुचि नहीं दिखाई है। यू.टी. ट्रांसपोर्ट सैक्रेटरी अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि वह प्रोजैक्ट की फंडिंग के लिए फिर मिनिस्ट्री को लिखेंगे। 5 बसें प्रशासन द्वारा खुद ही खरीदने के प्लान पर उन्होंने कहा कि इसे फिलहाल टाल दिया है। इसके पीछे वित्तीय संकट का हवाला दिया गया है।
इस प्रोजैक्ट को वी.पी. सिंह बदनौर ने ही 2016 नवंबर में हरी झंडी दी थी। इसके बाद ही ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने स्मार्ट सिटी मिशन के अंदर इस प्रोजैक्ट पर काम करना शुरु किया था। यहां तक कि गत 15 जून को हुई रिव्यू मीटिंग में भी प्रशासन ने ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार के निर्देश दिए थे।
उन्होंने विभाग को इलैक्ट्रिक बसें शीघ्र शहर में शुरु करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद ही प्रशासन ने 5 बसें अपने आप ही खरीदने का फैसला लिया था। प्रशासन ने इन बसों को शहर में प्रदूषण को कम करने के मकसद से खरीदने का फैसला लिया था।
11 शहर चुने थे प्रोजैक्ट के लिए :
2015 में गवर्नमैंट ऑफ इंडिया ने फास्टर एडोप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलैक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) स्कीम के तहत 11 शहर को इस प्रोजैक्ट के लिए चुना था, लेकिन चंडीगढ़ पहले फेज में इसका पार्ट नहीं था। बावजूद इसके प्रशासन ने इसके लिए मिनिस्ट्री को प्रस्ताव भेजा था।
स्कीम के तहत सभी 11 शहरों में इलैक्ट्रिक वाहनों का संचालन करने वाली कंपनी को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय मदद मुहैया करवाना है। इस स्कीम के तहत प्रत्येक शहर को इलैक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए 105 करोड़ रुपए की मदद मिलेगी। इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 15 करोड़ की मदद अलग से मिलेगी।