पंजाब में ऑक्सीटोसिन दवा पर रोक लगाने तथा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ते दुष्प्रभाव के मद्देनजर अब इस दवा पर पूरी रोक लगाई जाएगी। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा डेयरी विकास निदेशक काहन सिंह पन्नू ने आज यहां दी। उन्होंने विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस दवाई के उपयोग पर पूर्ण पाबंदी को सख्ती से लागू कराया जाए।
मिशन तंदरुस्त के निदेशक पन्नू ने बताया कि ऑक्सीटोसिन प्राकृतिक तौर पर पैदा होने वाला हारमोन है जो बच्चे के जन्म के समय दूध पिलाने वाली माताओं के लिए जरुरी है लेकिन इस दवाई का डेयरी उद्योग में बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो रहा है। इस दवाई को भैंसों से अधिक दूध लेने के लिए उपयोग किया जा रहा है। दूध पीने से इसके दुष्प्रभाव के कारण मनुष्य में हारमोन का संतुलन बिगाड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस दवाई का इस्तेमाल कद्दू, खरबूजा, बैंगन, घीया व खीरे जैसी सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसके दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इस दवा के घरेलू उपयोग पर पाबंदी लगा दी है, जिसके मद्देनजर प्रदेश सरकार को भी इस पाबंदी को पंजाब में सख्ती से लागू करने के लिए उचित कदम उठाने की जरुरत है। इस दवाई की गैर कानूनी बिक्री पर सख्ती से नजर रखी जाएगी। पंजाब में सभी रजिस्टर्ड सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को सलाह दी जाएगी कि इस दवाई के लिए कर्नाटक एंटीबायोटिक व फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (केएपीएल) के साथ संपर्क करें।
ज्ञातव्य है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 27 अप्रैल 2018 को अपने नोटिफिकेशन में ऑक्सीटोसिन की बिक्री पर पाबंदी लगाई है। यह नोटिफिकेशन पहली जुलाई 2018 से लागू है। एक जुलाई के बाद किसी भी प्राइवेट उत्पादक को इस दवाई का उत्पादन करने की अनुमित नहीं होगी। अब सिर्फ सरकारी कंपनी के.ए.पी.एल इस दवाई का उत्पादन करेगी व वह ही सरकारी व प्राइवेट क्षेत्र के रजिस्टर्ड अस्पतालों को यह दवाई सप्लाई करेगी। कैमिस्टों की दुकानों पर ऑक्सीटोसिन को किसी भी रुप में बेचने की आज्ञा नहीं होगी। सरकार ने इस दवाई के आयात पर भी पाबंदी लगाई है।