मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर ने नियमों को ताक पर रखकर ऐसी हरकत कर दी कि वे बड़ी मुश्किल में फंस गई हैं। उन्हें बहुत बड़ा और तगड़ा झटका लगा है। अब देखना ये है कि वे क्या करती हैं और समस्या का समाधान कैसे निकलेगा।
दरअसल, मानुषी छिल्लर के डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह सकता है। उनके सामने डॉक्टर बनने को लेकर बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है, क्योंकि मानुषी ने दूसरे प्रॉस के एग्जाम छोड़ दिए हैं। इसलिए अब भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर, सोनीपत ने आगे एग्जाम देने पर बैन लगा दिया है।
अब मिस वर्ल्ड 2017 को आगे एग्जाम में बैठने के लिए पीजीआई को पत्र लिखना होगा। वहां से ही आगे एग्जाम में बैठने को लेकर फैसला लिया जाएगा। यह भी तब हो सकता है, जब मानुषी हर प्रॉस में थ्योरी में 75 प्रतिशत व प्रैक्टिकल में 80 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराएंगी।
देश को 17 साल बाद मिस वर्ल्ड का खिताब दिलाने वाली मानुषी छिल्लर ने पहला प्रॉस पूरा कर लिया था। जब वह मिस वर्ल्ड कंपीटिशन के लिए गई थीं, तब दूसरा प्रॉस शुरू हो गया था। उस समय मानुषी की ओर से पत्र देकर छुट्टी ली गई थीं, लेकिन मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड बनने के बाद अभी तक कॉलेज नहीं आई हैं। कॉलेज नहीं आने के लिए कोई पत्र भी नहीं दिया।
अब मानुषी छिल्लर ने एग्जाम छोड़ दिए हैं, जिनमें जनवरी 2018 में हुए प्रॉस एग्जाम व अप्रैल-मई में हुए सप्लीमेंट्री एग्जाम शामिल हैं। एग्जाम को लेकर भी मानुषी की ओर से कॉलेज प्रशासन को कोई पत्र नहीं भेजा गया है। इसलिए कॉलेज की ओर से मानुषी को आगे भी एग्जाम देने से रोक दिया जाएगा, क्योंकि इस तरह बिना सूचना के एग्जाम छोड़ने व कॉलेज नहीं आने वालों को एग्जाम देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मानुषी छिल्लर की ओर से कॉलेज में कोई लिखित सूचना नहीं दी गई है। उसने जनवरी 2018 के एग्जाम के साथ ही अप्रैल-मई में हुए सप्लीमेंट्री एग्जाम भी छोड़ दिए हैं। अब मानुषी कॉलेज में सीधे आकर एग्जाम नहीं दे सकती हैं। इस तरह एग्जाम छोड़ने वालों का मामला यूनिवर्सिटी स्तर पर पहुंच जाता है। उसे आगे एग्जाम देने हैं तो पीजीआई से अनुमति लेनी होगी।
– डॉ. एपीएस बत्रा, डायरेक्टर मेडिकल कॉलेज
मेरे पास मानुषी छिल्लर का ऐसा कोई केस नहीं आया है। किसी भी एमबीबीएस विद्यार्थी को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों की पालना करनी होती है। इसी के आधार पर वह परीक्षा दे सकता है। इसके लिए 75 फीसदी हाजिरी व इंटरनल परीक्षा में 35 फीसदी मूल्यांकन जरूरी होता है। इसके बाद कॉलेज के डीन व डायरेक्टर को तय करना होता है कि विद्यार्थी परीक्षा देगा या नहीं, परीक्षा के लिए कॉलेज से अनुमति जरूरी होती है।
– डॉ. ओपी कालरा, कुलपति, यूएचएसआर