मेडिकल से जुड़े डिवाइस की तकनीक में दिन-ब-दिन कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। अब जल्द ही मार्केट में एक ऐसी ईसीजी मशीन आएगी जो मोबाइल जितनी होगी। खास बात यह कि कुछ ही सेकेंड में यह अपना रिजल्ट तैयार करेगी, जोकि एक इमेज के फार्मेट में होगा।
मशीन को स्मार्ट फोन से ब्लूटूथ के जरिए कनेक्ट करके इमेज को एमएमएस या किसी अन्य फाइल शेयरिंग एप से चंद सेकेंड में कहीं भी भेजा जा सकेगा। जरूरत हो तो फोटो का प्रिंट भी निकाला सकता है। इस पोर्टेबल ईसीजी मशीन के विभिन्न पहलुओं पर जांच हो चुकी है। फिलहाल इसको प्रोडक्शन के लिए तैयार किया जा रहा है।
पोर्टेबल ईसीजी मशीन की तकनीक को महाराष्ट्र स्थित भाभा अटोमिक रिसर्च सेंटर ने तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के बारे में सेक्टर-39 स्थित सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट आफ माइक्रोबायल टेक्नोलॉजी (इमटेक) में भी चर्चा की गई। जहां इंडस्ट्री और एकेडमिक रिसर्च को प्रमोट करने के लिए एक विशेष आयोजन किया गया।
इसमें विभिन्न मेडिकल इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया ताकि नई ईजाद हुई तकनीक को अडाप्ट कर प्रोडक्शन प्रक्रिया में लाया जा सके। इमटेक में तैयार की गई एक्सप्लोसिव डिटेक्शन किट, सीएसआईओ में बनाई गई बैलेंसिंग मशीन और थेरेपी एक्सपो को भी दिखाया गया। बैलेंसिंग मशीन को तो एक कंपनी ने करार कर प्रोडक्शन भी कर दी है।
रिमोट एरिया के लिए कारगर होगी पोर्टेबल ईसीजी मशीन
पोर्टेबल ईसीजी मशीन पॉकेट साइज की है। यह रिमोट एरिया में कारगर साबित होगी। इस मशीन से ईसीजी रिपोर्ट तुरंत एक्सपर्ट डाक्टर को भेजी जा सकेगी, चाहे डाक्टर मरीज से कितनी ही दूर हो। अस्पतालों में भी ईसीजी कराने के लिए मरीज को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ईसीजी ऑपरेटर खुद ही मरीज के पास मशीन जेब में डालकर लेकर आ सकेंगे। इस मशीन का एक और फायदा यह होगा कि ढेर सारा कागज प्रिंट निकालने में बेकार नहीं होगा क्योंकि यह मशीन डिजिटल ईमेज बनाती है।
कुछ ही मिनट में पता चलेगा आरडीएक्स का
इमटेक के कार्यवाहक निदेशक डा. सी रामनसूरी ने बताया कि इमटेक ने एक्सप्लोसिव डिटेक्शन किट तैयार की है। जो एक लैंड लाइन फोन के वजन और साइज के बराबर है। इसका इस्तेमाल आरडीएक्स, टीएनटी या अन्य विस्फोटक सामग्री की जांच करने में हो सकेगा। जैसे कहीं जमीन में आरडीएक्स दबाया गया है, तो वहां से नमूना लेकर मशीन के चैंबर में डालना होगा। चूंकि इसमें पहले से ही केमिकल व अन्य सेंसर इंस्टाल किए गए हैं, तो पांच से सात मिनट में पता चल जाएगा कि आरडीएक्स है या नहीं। नमूना अपना रंग तय मानक के हिसाब से बदल लेगा।
गेम से सुधरेगा शरीर का बैलेंस
सीएसआईओ ने शरीर का बैलेंस सुधारने के लिए एक तकनीक बनाई थी। इसे एक कंपनी ने मशीन के तौर पर तैयार किया है। इस पर खड़े होने से सामने लगी स्क्रीन में दिखेगा कि बैलेंस किस तरफ खराब है। इसमें कुछ ऐसी गेम इंस्टाल की गई हैं, जो बैलेंसिंग करने में कारगर हैं। इस मशीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर एक्सीडेंट के बाद फिर से पैरों पर खड़े करने की प्रक्रिया में होगा। मशीन से पता चलेगा कि मरीज किस पैर पर वजन ठीक ढंग से नहीं डाल रहा। मरीज को फिर बैलेंसिंग गेम खिलाई जाएगी ताकि शरीर का बैलेंस दो भाग में बराबर किया जा सके।