रविवार को सुखना लेक पर ‘पर्यावरण का विनाश’ नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया
पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण विभाग यूटी प्रशासन और थिएटर आर्ट्स चंडीगढ़ द्वारा रविवार को सुखना लेक पर ‘पर्यावरण का विनाश’ नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक लगातार 17 वर्ष से किया जा रहा है। इस नाटक में दिखाया गया कि किस तरह से लोग अपने स्वार्थ के लिए जानबूझकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
नाटक की शुरुआत यमराज के दरबार से होती है। चित्रगुप्त कुछ लिख रहे हैं। इस बीच यमराज आते हैं और कहते हैं कि आप लगातार काम करते रहते हैं। चित्रगुप्त बताते हैं कि पृथ्वी में प्रलय मची है और आत्माएं हमारे द्वार पर दस्तक दे रही हैैं। काफी लोगों की आत्माएं बाहर बैठी हैं और उनको एडजस्ट करना काफी कठिन है।
यमराज कहते हैं कि चलो इंद्र के पास चले कुछ को वहां एडजस्ट करवा देंगे। दोनों इंद्र के दरबार में पहुंचते हैं तो वहां भी आत्माएं भटक रही हैं। इंद्र कहते हैं कि यहां जगह नहीं है। आखिरकार इंद्र और नारद और चित्रगुप्त और यमराज दोनों नई दिल्ली में स्थिति का जायजा लेने उतरते हैं। वहां पर्यावरण का विनाश देखकर वह हतप्रभ हो जाते हैं। इस नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि पर्यावरण को बचाने से ही जिंदगी को बचाया जा सकता है।
नाटक का अंत होता है यमराज और चित्रगुप्त एक बच्चे की मौत से। जो मास्क पहने है लेकिन बावजूद उसके उसकी मौत हो जाती है। इंद्र नारद से पूछते हैं कि इस बच्चे की कितनी उम्र है, तो नारद बताते हैं कि इसकी उम्र 75 वर्ष है। इसके बाद इंद्र कहते हैं कि अभी भी संभल जाएं वरना दशा ऐसी ही होगी। इस नाटक में आशीष शर्मा, राजीव मेहता, योगेश अरोड़ा और गौरव शर्मा ने अभिनय किया।