भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्नी सविता कोविंद के साथ बुधवार को एम.सी.एम. डी.ए.वी. कॉलेज-36 के स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे। उन्होंने री-साइक्लिंग के क्षेत्र में किए जा रहे सराहनीय प्रयासों के लिए चंडीगढ़ को एक उदाहरण के रूप में बताया।
कोविंद ने कहा कि ली-कार्बूजिए का डिजाइन किया चंडीगढ़ देश की पहली प्लांड सिटी है। जो नगर नियोजन के मामले में उदाहरण पेश करता है। बता दें कि चंडीगढ़ ने री-साइक्लिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय पहल की है, जिसकी मिसाल है नेकचंद का रॉक गार्डन। इसके पीछे इस नगर के योजनाकारों की दूर-दृष्टि का योगदान है। शुरुआत से ही यहां री-साइक्लिंग, रि-यूज और री-जुविनेशन पर ध्यान दिया गया है।
शहर में पैदा हो रहे कचरे, इंडस्ट्रियल वेस्ट और रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करने में भी चंडीगढ़ ने पहल की है। यह हरित भारत, स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत की एक मिसाल है। इसमें नागरिकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस दौरान पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर, हरियाणा के गवर्नर प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, हिमाचल प्रदेश के गवर्नर आचार्य देव व्रत, चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर और डी.ए.वी. कॉलेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. पूनम सूरी मौजूद थे।
राष्ट्रभक्ति को सलाम : राष्ट्रपति ने उस समय को याद किया जब स्व. मेहर चंद महाजन को कश्मीर के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी का दायित्व मिला। वह तारीख थी 5 अक्तूबर 1947, और जब यह निर्णय लेने की बात आई कि कश्मीर का विलय हिंदुस्तान में होना है या पाकिस्तान के साथ।
उस समय उन्होंने निर्णय प्रधानमंत्री की हैसियत से लिया कि इसका विलय हिंदुस्तान में होगा। इसके पीछे उनकी एक भावना हो सकती है, केवल और केवल राष्ट्रीय हित। और उस देशभक्ति की भावना को आज वह सलाम करते हैं।
नीरजा पर नाज
कोविंद ने कहा कि संस्कृति, कला, खेलकूद, व्यापार या फिर उद्योग हो। बेटियों ने हर क्षेत्र में नाम रोशन किया है। इसी शांृखला में चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने भी सीने-जगत में अलग पहचान बनाई है।
अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने वाली चंडीगढ़ की बेटियों के नामों की लंबी सूची है। लेकिन उन्हें एक नाम लेना हो तो पहले वह नीरजा भनोट का नाम लेंगे। 1986 में बहादुरी से आतंकवादियों के मंसूबो को नाकाम करते हुए नीरजा ने 359 यात्रियों की जान बचाई थी।