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शराबबंदी से बचने के लिए हो रही तैयारी, ये निकाला जा रहा है रास्ता

शराबबंदी से बचने के लिए हो रही तैयारी, ये निकाला जा रहा है रास्ता
शराबबंदी से शराब का कारोबार करने वालों की नींद हराम हो चुकी है। जिसके बाद शराबबंदी से बचने का रास्ता तलाशा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से 16 मार्च को की गई नोटिफिकेशन के माध्यम से मध्य मार्ग का स्टेट हाईवे का दर्जा डी नोटिफाई न करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले में मध्य मार्ग के सात रेस्टोरेंट्स और बार मालिकों ने हाईकोर्ट में दस्तक दी है। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई 18 अप्रैल को निर्धारित की है।

मामले में याचिका दाखिल कर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण शहर के ज्यादातर ठेके बंद हो रहे थे। यहां व्यापारिक हितों को देखते हुए नेशनल हाईवे-21 और मध्य मार्ग को छोड़कर अन्य सभी सड़कों को मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड घोषित कर दिया गया। याची ने कहा कि इन दो सड़कों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर मौजूद ठेके बच गए हैं, जबकि इनके 500 मीटर के दायरे में मौजूद सभी शराब के ठेके और बार बंद हो गए हैं।

मध्य मार्ग पर चल रहे रेस्टोरेंट्स व बार जहां शराब सर्व की जाती थी उनका व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो गया है। याची ने अपील की है कि मध्य मार्ग को भी स्टेट हाईवे से डी-नोटिफाई कर वी-2 रोड्स की तर्ज पर मेजर डिस्ट्रिक रोड घोषित किया जाए।

यह है मामला
दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि सभी नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में ठेके और शराब के सर्व करने पर पूरी तरह पाबंदी होगी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों से शहर के ज्यादातर ठेकों पर ताला लगना तय हो गया था। चंडीगढ़ प्रशासन ने इससे बचने के लिए नेशनल हाईवे-21 और मध्य मार्ग को छोड़ अन्य सभी वी-1, वी-2 और वी-3 सड़कों को मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड घोषित कर दिया, जिन्हें पहले स्टेट हाईवे का दर्जा था।

मध्य मार्ग को इससे उपेक्षित रखने को इस मार्ग पर स्थित रेस्टोरेंट्स के मालिकों ने चुनौती दी है। याची ने कहा कि प्रशासन को मध्य मार्ग को भी डी-नोटिफाई करना चाहिए था, क्योंकि मध्य मार्ग स्टेट हाईवे न होकर वी-2 रोड है।

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